सावन (Sawan) की शिवरात्रि (Shivratri) पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रात्रि में चार पहर की पूजा का विधान बताया गया है। रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए एक महत्वपूर्ण पूजा है। इसकी विधि में शिवलिंग का अभिषेक, मंत्रोच्चारण और विशेष पूजन सामग्री का उपयोग शामिल है।
सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) के चार पहर के शुभ मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – जुलाई 23, 2025 को 04:39 AM
चतुर्दशी तिथि समाप्त – जुलाई 24, 2025 को 02:28 AM
निशिता काल पूजा समय – 23 जुलाई की देर रात 12:07 AM से 12:48 तक
24 जुलाई रात्रि प्रथम प्रहर – 07:17 PM – 09:53 PM
24 जुलाई रात्रि द्वितीय प्रहर – 09:53 PM – 12:28 AM
24 जुलाई रात्रि तृतीय प्रहर – 12:28 AM – 03:03 AM
24 जुलाई रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय – 03:03 AM – 05:38 AM
शिवरात्रि पारण समय – जुलाई 24 को 05:38 AM बजे से
रुद्राभिषेक की विधि
पूजा की आवश्यक सामग्री
जल, दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल, पंचामृत, चंदन, बेलपत्र, फूल, फल, धूप, दीप, नैवेद्य, आदि एकत्रित करें।
पूजा की तैयारी
सबसे पहले, पूजा के लिए एक पवित्र स्थान का चयन करें और उसे साफ करें।
एक चौकी पर शिवलिंग स्थापित करें।
गणेश जी और नंदी जी की प्रतिमा स्थापित करें।
एक कलश में जल भरकर, उसमें स्वास्तिक और मंगल कलश का चित्र बनाएं।
कलश में सुपारी, नारियल, पंचरत्न, सिक्के, अक्षत, रोली, चंदन, और लाल धागा डालें।
शिवलिंग की स्थापना
मिट्टी से शिवलिंग बनाएं और उसे किसी साफ पात्र में स्थापित करें।
शिवलिंग को उत्तर दिशा में स्थापित करें और अपना मुख पूर्व दिशा की ओर रखें।
संकल्प
रुद्राभिषेक करने का संकल्प लें, जिसमें अपना नाम, गोत्र और उद्देश्य (जैसे – सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य, आदि) का उल्लेख करें।
अभिषेक
सबसे पहले, शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएं।
फिर, दूध, दही, घी, शहद, पंचामृत, तिल, धान, हल्दी, कुमकुम अर्पित करें।
प्रत्येक द्रव्य अर्पित करते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
इसके बाद, चंदन, बेलपत्र, फूल, फल, आदि अर्पित करें।
बेलपत्र, आंकड़े के फूल, कमल के फूल, और शमी के पत्ते अर्पित करें।
पूजन
शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं।
बेलपत्र, सुपारी, पान, फल, और अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें।
धूप, दीप, नैवेद्य, आदि अर्पित करें।
शिवलिंग की आरती करें।
प्रार्थना करें और भगवान शिव से आशीर्वाद मांगें।
मंत्र जाप
“ॐ नमः शिवाय” और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
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आरती के बाद, प्रसाद चढ़ाएं और उसे भक्तों में वितरित करें।
क्षमायाचना
पूजा के अंत में, भगवान शिव से क्षमा याचना करें।
विसर्जन
पूजा के बाद शिवलिंग का किसी पात्र में विसर्जन करें। अभिषेक के जल को पूरे घर में छिड़कें और प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
ध्यान रखने योग्य बातें
रुद्राभिषेक के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करना चाहिए।
रुद्राभिषेक किसी विद्वान पंडित से करवाना अधिक फलदायी माना जाता है।
यदि स्वयं कर रहे हैं, तो रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करें।
अभिषेक के दौरान “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते रहें।