पंचांग के अनुसार, इस बार 6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी। इस दिन, भक्त अपने घरों में दस दिनों तक विराजमान रहने के बाद, गणेश जी की मूर्ति को विसर्जित (Ganesh Visarjan) करते हैं। यह भगवान गणेश को विदाई देने का एक भावुक क्षण होता है, लेकिन इस विदाई को सही तरीके से करना भी बहुत ज़रूरी है। विसर्जन (Ganesh Visarjan) के दौरान कुछ छोटी-छोटी गलतियों से बचना चाहिए, ताकि यह शुभ कार्य पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ संपन्न हो सके।
विसर्जन (Ganesh Visarjan) के दौरान न करें ये गलतियां
जलाशयों को गंदा न करें: गणपति की मूर्तियों को सीधे नदियों या तालाबों में न विसर्जित करें। आजकल पर्यावरण की रक्षा के लिए कृत्रिम टैंक या घर में ही विसर्जन की परंपरा अपनाई जाती है। इससे जल प्रदूषण नहीं होता।
अखंडित मूर्ति: इसका बात का विशेष ध्यान रखें कि विसर्जन (Ganesh Visarjan) के लिए ले जाने से पहले मूर्ति खंडित न हो। खंडित मूर्ति का विसर्जन अशुभ माना जाता है।
अधूरे विधि-विधान: विसर्जन से पहले गणेश जी की आरती और पूजा पूरी श्रद्धा के साथ करें। उन्हें मोदक, लड्डू और फूल अर्पित करें। अधूरे विधि-विधान से विसर्जन करना सही नहीं होता।
मूर्ति को सीधा पानी में न डालें: मूर्ति को सीधे पानी में फेंकने या डालने की बजाय, उसे धीरे-धीरे और सम्मानपूर्वक जल में प्रवाहित करें। ऐसा करने से यह एक सम्मानजनक विदाई होगी।
नशा करके विसर्जन: विसर्जन के दिन नशे का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। इस दिन पूरी तरह से सात्विक रहना चाहिए और शुद्ध मन से भगवान की विदाई करनी चाहिए।
भोग और पूजा सामग्री को इधर-उधर न फेंकें: फूल-माला, कपड़े, नारियल या मिठाई जैसी चीजों को पानी में न बहाएं। इन्हें साफ जगह या किसी पवित्र वृक्ष की जड़ में रखें।
विसर्जन के बाद पीछे मुड़कर न देखें: ऐसी मान्यता है कि विसर्जन के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। भगवान को अगले साल वापस आने का वादा करके ही विदाई दें।
गणपति विसर्जन (Ganesh Visarjan) का महत्व
अनंत चतुर्दशी का दिन, गणेश चतुर्थी के दस दिवसीय उत्सव का समापन करता है। इस दिन किया गया विसर्जन सिर्फ एक मूर्ति का विसर्जन नहीं, बल्कि अपने सभी दुखों और परेशानियों को भगवान के साथ विसर्जित करने का प्रतीक भी माना जाता है। इसलिए, इस विदाई को पूरी श्रद्धा, सम्मान और सही विधि-विधान के साथ करा जाता है, ताकि बप्पा अगले साल फिर से हमारे घर आ सकें।