• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

ग्रहण काल में तुलसी छूना होता है वर्जित, इस समय कर लें ये काम

Writer D by Writer D
07/09/2025
in Main Slider, धर्म, फैशन/शैली
0
Sarva Pitru Amavasya

Tulsi

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

हिंदू धर्म में तुलसी (Tulsi) का स्थान बेहद पवित्र माना गया है। इसे विष्णु प्रिया कहा जाता है और हर पूजा में तुलसी दल का विशेष महत्व होता है। लेकिन शास्त्रों में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि ग्रहण काल में तुलसी पूजा और तुलसी पत्तों का चयन वर्जित है। मान्यता है कि इस समय तुलसी का तोड़ना या पूजा करना अशुभ फल देता है। आइए जानते हैं कारण और उपाय।

तुलसी (Tulsi) छूना निषेध

पुराणों के अनुसार ग्रहण काल में वातावरण में राहुकेतु की नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय रहती है। इस समय किसी भी पवित्र वस्तु का छेदन या तोड़ना अशुभ माना जाता है। तुलसी को माता का स्वरूप माना गया है और ग्रहण के समय इसे छूना भी निषेध बताया गया है। माना जाता है कि इस समय तोड़ी गई तुलसी पूजा में स्वीकार्य नहीं होती।

ग्रहण काल में तुलसी (Tulsi) पूजा नहीं होती

ग्रहण काल में तुलसी (Tulsi) पूजा वर्जित है क्योंकि तुलसी दल को ग्रहण की छाया अपवित्र कर देती है। शास्त्र कहते हैं कि इस समय भगवान विष्णु और लक्ष्मी भी तुलसी के पत्ते स्वीकार नहीं करते। इसी वजह से तुलसी पूजन, तुलसी दल अर्पण और तुलसी सेवन वर्जित माने जाते हैं।

ग्रहण काल में पूजा के लिए तुलसी (Tulsi) पत्तों की व्यवस्था पहले से कर लेने की परंपरा है। ग्रहण शुरू होने से पहले तुलसी दल तोड़कर रख लें। तुलसी दल को गंगाजल छिड़ककर पवित्र स्थान पर रख दें। ग्रहण के बाद नहाकर शुद्ध होकर इन्हें भगवान को अर्पित किया जा सकता है।

धार्मिक मान्यता और आस्था

धार्मिक मान्यता है कि ग्रहणकाल में तुलसी (Tulsi) तोड़ने वाला व्यक्ति पाप का भागी होता है। यही कारण है कि घरों में बुजुर्ग ग्रहण से पहले ही तुलसी दल सुरक्षित रख लेने की सलाह देते हैं। ऐसा करने से पूजा भी बाधित नहीं होती और शास्त्रीय नियमों का उल्लंघन भी नहीं होता।

आधुनिक दृष्टिकोण

आधुनिक विज्ञान ग्रहण को केवल खगोलीय घटना मानता है, लेकिन परंपराओं का महत्व यह है कि इनसे अनुशासन और श्रद्धा बनी रहती है। तुलसी को आयुर्वेद में औषधीय पौधा माना गया है, इसलिए इसका सम्मान होता है। ग्रहण से पहले तुलसी (Tulsi) चुनने और सुरक्षित रखने की परंपरा इसी सम्मान और सतर्कता का प्रतीक है। यही वजह है कि ग्रहण काल में तुलसी पूजा और तुलसी दल का चयन निषेध है। इसलिए शास्त्रों के अनुसार तुलसी दल पहले से तोड़कर सुरक्षित रखना चाहिए और ग्रहण समाप्त होने के बाद ही उनका उपयोग करना चाहिए।

Tags: chandra grahansurya grahantulsi
Previous Post

पितृ पक्ष में बन रहा है गजकेसरी राजयोग, इन जातकों पर होगी धन वर्षा

Next Post

मृत्यु पंचक होता है बेहद खतरनाक, इस दौरान ना करें यह काम

Writer D

Writer D

Related Posts

Multani Mitti
फैशन/शैली

गुलाबों से खिल जाएगा चेहरा, लगाएं ये फेसपैक

23/10/2025
Dandruff
फैशन/शैली

सिर की डैंड्रफ से मिलेगा छुटकारा, आज़माएँ ये घरेलू उपाय

23/10/2025
fashion tips during pregnancy
फैशन/शैली

प्रेग्नेंसी में दिखेंगी खूबसूरत, फॉलो करें ये फैशन टिप्स

23/10/2025
Rajma
फैशन/शैली

डायबिटीज को कंट्रोल करता है राजमा, आज ही करें अपनी डाइट में शामिल

23/10/2025
hair
फैशन/शैली

घर में मौजूद इन चीजों से पाएं घने-चमकीले बाल

23/10/2025
Next Post
Panchak

मृत्यु पंचक होता है बेहद खतरनाक, इस दौरान ना करें यह काम

यह भी पढ़ें

Hartalika Teej

हरतालिका तीज के दिन करें इन चीजों का दान, खुशियों से भर जाएगा दांपत्य जीवन

05/09/2024
Azam Khan took a jibe at Akhilesh Yadav

आज़म खान की रिहाई पर अखिलेश ने तोड़ी चुप्पी, बोले- झूठ के लम्हे होते हैं, सदियां नहीं

20/05/2022

प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन बनाए : पीएम मोदी

16/12/2021
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version