लखनऊ। बिजली विभाग में हुए पीएफ घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने उत्तर प्रदेश सरकार से तीन तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी है। इस घोटाले की परतें धीरे-धीरे उधड़ रही हैं।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि तकरीबन 2,600 करोड़ के घोटाले का पर्दाफाश हो चुका है।
इस घोटाले में ईओडब्ल्यू और सीबीआई 17 लोगों को जेल भेज चुकी है। अब सीबीआई ने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड के दो पूर्व चेयरमैन संजय अग्रवाल और आलोक कुमार के अलावा एमडी अपर्णा यू के खिलाफ पीएफ घोटाले का मामला चलाए जाने की अनुमति मांगी है। यह सरकार न तो कर्मचारियों के हित की बात करती है और न ही उनके पीएफ के पैसे को सुरक्षित रख पाई।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा सरकार की नाक के नीचे इतना बड़ा घोटाला हो गया और सरकार बेहोशी का उत्सव मनाती रही। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के कर्मचारी भविष्य निधि (पीएफ) के 2631.20 करोड़ रुपये गलत तरीके से निजी संस्था डीएचएफएल में निवेश किए गए।
मौनी अमावस्या पर प्रयागराज में एक करोड़ श्रद्धालु कर सकते हैं स्नान : मुख्य सचिव
एक स्टिंग में पता चला था कि डीएचएफएल यानी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड, ने 31,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया है। स्टिंग एजेंसी का के मुताबिक यह भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनी क्षेत्र का घोटाला है और इसने भाजपा को अवैध तरीके से चंदा दिया।
अजय कुमार लल्लू ने कहा कि इस पूरे मामले को कांग्रेस पार्टी ने जोर शोर से उठाया। उन्होंने कहा कि पीएफ की राशि डीएचएफएल में निवेश करने का मुद्दा केवल भ्रष्टाचार ही नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा से भी जुड़ा है। ऊर्जा मंत्री को बताना चाहिए कि वह सितम्बर-अक्टूबर 2017 में दुबई क्यों गए थे और किससे मिले थे? इस मामले की जांच होनी चाहिए की उनके वहां जाने का क्या प्रयोजन था और उनकी वहां किन लोगों से मुलाकात हुई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करते रहे और उन्हीं की नाक के नीचे भ्रष्टाचार होता रहा। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की परतें खुल रही हैं।