उत्तराखंड के अल्मोड़ा निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज को कोविड अस्पताल बनाया है। कोरोना की जांच से लेकर पॉजिटिव मरीज को भर्ती करना और ठीक होने पर घर भेजने का काम डॉक्टर चंचल सिंह मारछाल देख रहे है, जो सुबह से लेकर देर रात तक यही काम करते है। कई बार तो रात को भी मरीज अस्पताल लाना पड़ता है।
डॉ. मारछाल बेस अस्पताल में सचेतक के पद पर तैनात है, लेकिन कोरोना काल में मेडिकल कॉलेज के कोरोना अस्पताल में अपनी पूरी सेवा दे रहे है। मूलरूप से पिथौरागढ़ के धारचूला के रहने वाले मारछाल अपने गांव पिछले एक साल से नहीं गए हैं। होली, दीपावली में सभी नौकरी करने वाले लोग घर आकर एक दूसरे से मिलते है, लेकिन मारछाल ने लोगों की सेवा का धर्म अपनाया है।
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डॉ. मारछाल का कहना है कि कई बार तो मरीजों को लाने के लिए ड्राइवरों ने नौकरी छोड़ दी, फिर भी चालकों से निवेदन कर ही काम चलाया। किसी भी मरीज को अस्पताल आने और घर जाने में कोई परेशानी नहीं हु। सभी को लाने और घर भेजा गया। कई बार तो लोग रात को भी फोन करते है कि मरीज की तबीयत बिगड़ गई अपस्ताल लाने के लिए एम्बुलेस भेज दो। इसके बाद चालक को उठाया जाता है फिर मरीज को अस्पताल लाया जाता है।
डॉ. मारछाल ने कहा कि जिले में 4601 मरीज कोरोना पॉजीटिव हो चुके है, जिसमें से 3927 मरीज ठीक होकर घर लौट गए है, जबकि ढाई दर्जन से अधिक लोग कोरोना के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। डॉ. मारछाल सहित कई डॉक्टर और अन्य स्टाफ ऐसे है जो कोरोना अस्पताल में काम कर रहे है।
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पिछले एक साल से अपना घर जाना भी छोड़ दिया है। सुबह उठने से लेकर रात सोने तक सिर्फ लोगों को जान बचाना ही अपना कर्तव्य समझ लिया है, जिस कारण अल्मोड़ा जिले में अभी तक ढाई दर्जन ही लोगों की कोरोना से जान गई है।