नई दिल्ली| बॉलीवुड स्टार सुशांत सिंह राजपूत की एक्स मैनेजर के सुसाइड केस में एक नया मोड़ आ गया है। खबरों की मानें तो दिशा की ऑटोप्सी रिपोर्ट मिली है जिससे पता चल रहा है कि ऑटोप्सी उनकी मौत के दो दिन बाद की गई थी। फरेंसिक एक्सपर्ट ने इस पर इकई सवाल उठाए हैं।
टाइम्स नाऊ ने दिशा की ऑटोप्सी पर फरेंसिक एक्सपर्ट डॉक्टर दिनेश राव से बात की। इस बातचीत में फरेंसिक एक्सपर्ट ने जो कहा है वह वाकई में काफी हैरान करने वाला है। उनका कहना है कि 2 दिन लेट करना पुलिस की लापरवाही है और उन्हें जवाब देना चाहिए। फरेंसिक एक्सपर्ट ने यह भी कहा, सेक्शुअल असॉल्ट के इंडिकेशंस हैं इसीलिए उन्होंने बायलॉजिकल सैंपल्स कलेक्ट किए हैं। जबकि क्लोथ मटीरियल और नेल स्क्रैपिंग को इग्नोर कर दिया जो कि जरूरी होते हैं।
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गौतरलब है कि सुशांत सिंह राजपूत और उनकी एक्स- मैनेजर की मौत आसपास हुई थी। दिशा की मौत कैसे हुई, इस बारे में भी नहीं पता चल सका है। इन दोनों की मौत की गुत्थी दिन बीतने का साथ और भी पेचीदा होती चली जी रही है। मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए बीते दिन ही सुप्रिम कोर्ट ने सुशांत सिंह राजपूत केस की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। इससे पहले मुंबई और बिहार पुलिस भी इस केस की जांच पड़ताल कर रही थी। वहीं दूसरी तरफ मीडिया और फैंस सुशांत सिंह राजपूत केस को दिशा सालियान से जोड़कर देख रहे हैं। बीते कई दिनों से लोग सुशांत सिंह राजपूत और दिशा सालियान केस को मर्डर बता रहे हैं। वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में भी दावा किया जा रहा है कि दिशा सालियान का रेप और मर्डर हुआ है। हालांकि दिशा की फैमिली इस बात से इनकार कर चुकी है और उन्हें किसी पर शक नहीं है।
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वहीं हाल ही में मुंबई पुलिस ने एक नोट रिलीज किया था कि किसी के पास दिशा की मौत से जुड़े कुछ सुबूत हों वे उन्हें दे सकते हैं। वहीं मुंबई पुलिस पर ये आरोप है कि उन्होंने दिशा से संबंधित सभी फाइल को डिलीट कर दिया है। वहीं सुशांत के मामले में भी पुलिस पर आरोप है कि सुशांत डेथ बॉडी का परिक्षण करने वाले फोरेंसिक सर्जनों ने फिंगर स्वब्स और नेल क्लिप्पिंग्स को इकट्ठा नहीं किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, फॉरेंसिक सर्जन ने भी बताया है कि हो सकता है कि 14 जून को कूपर अस्पताल में डेथ बॉडी परीक्षण के दौरान फोरेंसिक एक्सपर्ट्स की टीम द्वारा महत्वपूर्ण टुकड़ों को एकत्र नहीं किया । रिपोर्ट में कहा गया है कि सुशांत के शव का परीक्षण करने वाली टीम में पोस्टमार्टम सेंटर के एक सर्जन शामिल थे, जो पुलिस के अंतर्गत काम कर रहे थे। इसमें डॉक्टर एसएम पाटिल और 4 सर्जनों के तहत फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी डिपार्टमेंट, एचबीटी मेडिकल कॉलेज और डॉ आर एन कूपर म्यूनिसिपल हॉस्पिटल से काम कर रहे थे।