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व्यक्ति वही बड़ा होता है जो अपने कर्मक्षेत्र और जन्मक्षेत्र को समान महत्व देता है

trains to statue of liberty

trains to statue of liberty

व्यक्ति वही बड़ा होता है जो अपने कर्मक्षेत्र और जन्मक्षेत्र को समान महत्व देता है।  नरेंद्र मोदी में यह खासियत समग्रता में देखी जा सकती है। बतौर प्रधानमंत्री जहां वे पूरे देश की समस्याओं पर नजर रखते हैं, वहीं बतौर सांसद उनके ध्यान के केंद्र में वाराणसी होता है। उसके समग्र विकास की उन्हें निरंतर फिक्र होती है।

यही वजह है कि वाराणसी को नई योजनाओं से जोड़ने का एक भी अवसर वे चूकते नहीं हैं। गुजरात उनकी जन्मस्थली है, इसलिए वे गुजरात के सामर्थ्य विकास का मुकम्मल ध्यान रखते हैं।  गुजरात के केवड़िया को वाराणसी से जोड़कर उन्होंने देश को यही संदेश देने की कोशिशकी है कि गुजरात और वाराणसी उनकी दो आंखें हैं।  बीच में अफवाह उड़ी थी कि  इस बार वाराणसी से नरेंद्र मोदी प्रत्याशी नहीं होंगे। इस पर भाजपा के स्तर पर सफाई भी दी गई । कौन-कहां से चुनाव लड़ेगा या नहीं लड़ेगा, यह बात उतनी अहमियत नहीं रखती जितनी यह कि अपने सांसद रहते अपने क्षेत्र के विकास में उसका क्या योगदान रहा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी से गुजरात के केवड़िया  को जोड़ने के लिए नई ट्रेन काशी-केवड़िया एक्सप्रेस को डिजिटल माध्यम से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश समेत 6 राज्यों और उनके शहरों के हितों का  भी ध्याान रखा है। कुल आठ ट्रेनों  को हरी झंडी दिखा कर उन्होंने केवड़िया को वाराणसी, दादर, अहमदाबाद, हजरत निजामुद्दीन, रीवा, चेन्नई और प्रतापनगर से जोड़ने का प्रयास किया है। इससे  सबका साथ-सबका विकास  की उनकी अवधारणा का पता चलता है।  जब उन्होंने गुजरात में केवड़िया में सरदार वल्लभ भाई पटेल की लौह प्रतिमा का निर्माण कराया था तो उन्होंने गुजरात ही नहीं, पूरे देश को महत्व दिया था। अब उनका प्रयास है कि देश भर के पर्यटक केवड़िया पहुंचें और सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा के दीदार करें। उनके योगदान से अवगत हों। अब  तक स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से भी ज्यादा लोग सरदार पटेल की प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने केवडिया जा रहे हैं, अबतक 50 लाख लोग इस प्रतिमा को देख चुके है और जल्द ही यहां एक लाख लोग रोज पहुंचें, ऐसा उनका  संकल्प है और अपने इस संकल्प को वे पल्लवित और पुष्पित होते देखना चाहते हैं।

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वाराणसी से केवड़िया  तक चलने वाली इस साप्ताहिक ट्रेन में एक वातानुकूलित प्रथम श्रेणी, दो टू टियर एसी, दो थ्री टियर एसी डिब्बों के साथ 13 शयनयान डिब्बे लगे हैं।  इस रेलगाड़ी में आधुनिक एलबीएच कोच के साथ ही मॉड्यूलर शौचालय की सुविधा मिलेगी। इससे पता चलता है कि नागरिक सुविधाओं का भी पूरा ध्यान रखा गया है। सामान्य कोच में भी यात्रियों को आरओ का पानी मिल सकेगा, साथ ही सभी बोगियों को स्मोक डिटेक्टर लगाने के साथ अग्नि निरोधक बनाया गया है। आठ ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छोटी रेल लाइनों पर चलने वाली धीमी गति वाली ट्रेनों में अपनी पुरानी यात्राओं को याद किया।उन्होंने यह बताने-जताने की कोशिश की कि बहुत कम लोग बड़ौदा (वडोदरा) से दाभोई के बीच छोटी रेल लाइन से अवगत होंगे। मैं उस छोटी लाइन के जरिए यात्रा किया करता था।

मजेदार बात यह थी कि उस समय ट्रेनें इतनी धीमी चला करती थीं कि आप किसी भी जगह आराम से उतर-चढ़ सकते थे।  आप ट्रेन के साथ कुछ दूर तक चल भी सकते थे और ऐसा लगता था कि आपकी (चलने की) गति उस ट्रेन से अधिक है। मैं भी कभी-कभार इसका आनंद लिया करता था।  अपना अनुभव शेयर करना भी बड़ी बात होती है।  उन्होंने विश्वास जाहिर किया है कि ये आठ ट्रेनें इस जनजातीय क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद करेंगी और दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा तक पहुंच बढ़ाएंगी, जिसका उन्होंने अक्टूबर 2018 में सरदार वल्लभ भाई पटेल की 143वीं जयंती के मौके पर उद्घाटन किया था। अपने महापुरुषों को मान देकर ही कोई देश आागे बढ़ता है। नरेंद्र मोदी को पता है कि ट्रेनें देश को, वहां की संस्कृति और सभ्यता को आगे बढ़ाने का काम करती हैं।

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इन रेलगाड़ियों के संचालन के बाद केवड़िया अब गुजरात के एक सुदूर इलाके में स्थित छोटा सा क्षेत्र नहीं रह गया है बल्कि दुनिया के सबसे बड़े पर्यटन स्थल के रूप में उभर रहा है। कोरोना वायरस के दौरान महीनों तक सबकुछ बंद रहने के बावजूद केवड़िया आने वाले पर्यटकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है।  इन ट्रेनों के चलते पर्यावरण की रक्षा तो होगी ही, अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी दोना का योजनाबद्ध तरीके से  विकास होगा, इसमें कोई संदेह नहीं है।  इससे रोजगार तथा स्वरोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।  यह रेल लाइन करनाली, पोइचा और गुरुदेश्वर जैसे आस्था के महत्वपूर्ण केन्द्रों को भी जोड़ेगी और यह सच है कि पूरा क्षेत्र आध्यात्मिकता के भाव से भर जाएगा। यह सुविधा आमतौर पर आध्यात्मिक कारणों से यहां आने वालों के लिये बड़ा उपहार है।

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