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ऐसी जगह जहाँ पक्षी करते है सामूहिक आत्महत्या, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

दुनिया में ऐसी कई जगह है जिनको सुसाइड पॉइंट के नाम से जाना जाता हैं। इंसान जब अपनी जिंदगी से तंग आ जाता हैं तो कायराना रूप से सुसाइड के रूप में मौत का दामन थामता हैं। लेकिन क्या आपने कभी ये सुना है की पक्षी सुसाइड करते हैं। जी हाँ, कुछ ऐसा ही है रहस्यमयी जटिंगा वैली में, जहां पक्षियों को सामूहिक आत्महत्या करते हुए देखा जा सकता हैं। यह जगह किसी और देश में नहीं बल्कि भारत में ही। आइये जानते हैं इसके बारे में।

आपको यकीन नहीं होगा कि असम के जतिंगा नामक गांव में हर साल बाहर से आने वाले हजारों पक्षी आत्महत्या कर लेते हैं। मानसून के आखिर में विशेषकर अमावस या कोहरे से भरी रात में तेज गति से उड़कर जतिंगा की तरफ आते हुए पक्षी अचानक जमीन पर गिर जाते हैं और गिरते ही दम तोड़ देते हैं। स्थानीय लोग इसे सामूहिक आत्महत्या की घटना कहते हैं। पक्षियों के आत्महत्या का रहस्य क्या है इस बात को लेकर कई तरह की बातें इस क्षेत्र में प्रचलित थी। यहां की जनजाति यह मानती है कि यह भूत-प्रेतों और अदृश्य ताकतों का काम है।

ये घटनाएं सितंबर से नवंबर के बीच अंधेरी रात में घटती हैं, जब नम और कोहरे-भरे मौसम में हवाएं दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर बहने लगती हैं। रात के अंधेरे में पक्षी रोशनी के आस-पास उड़ने लगते हैं। इस समय वे मदहोशी जैसी अवस्था में होते हैं जिसके कारण ये आसपास की चीजों से टकराकर मर जाते हैं।

भारत सरकार ने इस गुत्थी को सुलझाने के लिए प्रसिद्ध पक्षी विशेषज्ञ डॉ. सेन गुप्ता को नियुक्त किया था। डॉ. गुप्ता ने यहां लंबे समय तक अध्ययन करने के बाद कहा कि पक्षियों के इस असामान्य व्यवहार के पीछे मौसम और चुम्बकीय शक्तियों का हाथ है। उन्होंने बताया कि वर्षा के मौसम में जब कोहरा छाया हो और हवा चल रही हो, तब शाम के समय जतिंगा घाटी की चुम्बकीय स्थिति में तेजी से बदलाव आ जाता है। इस परिवर्तन के कारण ही पक्षी असामान्य व्यवहार करते हैं और वे रोशनी की ओर आकर्षित होते हैं। अपने शोध के बाद उन्होंने यह सलाह दी कि ऐसे समय में रोशनी जलाने से बचा जाए। उनके इस सलाह पर अमल करने से यहां होने वाली पक्षियों की मौत में 40 फीसदी की कमी आई है।

जतिंगा में 44 जातियों की स्थानीय चिड़ियाएं आत्महत्या करती हैं। इनमें टाइगर बिट्टर्न, ब्लैक बिट्टर्न, लिटिल इहरेट, पॉन्ड हेरॉन, इंडियन पिट्टा और किंगफिशर जाति की चिड़ियाएं अधिक शामिल होती हैं।

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