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144 साल बाद महाकुंभ पर बना रहा दुर्लभ संयोग, मिलेगा अक्षय पुण्य का लाभ

Maha Kumbh

Maha Kumbh

महाकुंभ (Maha Kumbh) इस बार कई मायनों में खास है। मेले का विस्तार और आधुनिक सुविधाओं से तो क्षेत्र लैस है ही साथ ही इस बार का महाकुम्भ अक्षय पुण्य लाभ देने वाला होगा। यह पूर्ण महाकुम्भ होगा। धर्माचार्यों और ज्योतिषाचार्यों की मानें तो ऐसा दुलर्भ संयोग 144 साल बाद बन रहा है।

साधु-संतों और ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि महाकुम्भ प्रत्येक 12 वर्ष के बाद लगता है, जबकि 12-12 के 12 चरण पूरे होने पर जो कुम्भ होता है, उसे पूर्ण महाकुम्भ कहा जाता है। निरंजनी पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि का कहना है कि योग लगन, गृह और तिथि जब सब अनुकूल होते हैं तो यह दुर्लभ संयोग बनता है। प्रत्येक 12 वर्ष के बाद महाकुम्भ, प्रयागराज में छठवें वर्ष पर अर्धकुम्भ और 144 वर्ष के अंतराल पर पूर्ण महाकुम्भ का योग बनता है।

अंकगणित का भी संयोग

इस बारे में ज्योतिष का गणितीय विश्लेषण भी है। जैसे 144 का कुल योग नौ होता है। यानी एक और इसमें चार और फिर चार जोड़ने पर नौ होता है। ऐसे ही वर्ष 2025 में दो में दो और फिर पांच जोड़ने पर नौ का पूर्ण अंक प्राप्त हो रहा है। यह भी विशेष संयोग इस महाकुम्भ में दिखाई देगा।

पूर्ण महाकुम्भ (Maha Kumbh) के ज्योतिषीय विश्लेषण

पूर्ण महाकुम्भ (Maha Kumbh) के ज्योतिषीय विश्लेषण भी हैं। उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक डॉक्टर दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली का कहना है कि प्रत्येक 12 वर्ष के अंतराल पर प्रयागराज की पावन भूमि पर महाकुम्भ का आयोजन होता है। जब देवगुरु बृहस्पति शुक्र की राशि वृष में गोचर करते हैं तथा जब सूर्य देव मकर राशि में गोचर करते हैं तब देवगुरु बृहस्पति की नवम दृष्टि सूर्य देव पर पड़ती है। यह अवधि परम पुण्यकारक होती है। जब देवगुरु बृहस्पति अपनी 12 राशियों की यात्रा करने के बाद पुन वृष राशि में आते हैं, तब प्रत्येक 12 वर्ष के अंतराल पर महाकुम्भ लगता है। इसी प्रकार जब बृहस्पति का वृष राशि में गोचर 12 बार पूर्ण हो जाता है। अर्थात वृष राशि में बृहस्पति के गोचर का 12 चक्र पूर्ण हो जाता है तब उस कुम्भ को पूर्ण महाकुम्भ कहा जाता है।

बकौल डॉ. त्रिपाठी इस वर्ष भी देवगुरु बृहस्पति का गोचर वृष राशि में हो रहा है। जो 14 मई 2025 तक रहेगा। 14 जनवरी 2025 को दिन में 2:58 बजे के बाद सूर्य देव का गोचर मकर राशि में आरंभ होगा। तब देवगुरु बृहस्पति की नवम दृष्टि सूर्य देव पर होगी। इसी पुण्यदायक संयोग में ही महाकुम्भ का आयोजन होता है।

बनेंगे कई लाभकारी शुभ योग-

इस वर्ष हमारे कर्म फल के प्रदाता ग्रह शनि अपनी राशि कुम्भ में गोचर कर रहे हैं। यह भी एक श्रेष्ठ संयोग है। महाकुम्भ पर्व के दौरान ऐश्वर्य, सौभाग्य, आकर्षक, प्रेम, सुख आदि के कारक ग्रह शुक्र अपनी उच्चाभिलाषी स्थिति शनि देव की राशि कुम्भ में एक जनवरी से 29 जनवरी के बीच में गोचर करते रहेंगे। उसके बाद 29 जनवरी 2025 दिन बुधवार की रात में 1212 बजे से अपनी उच्च राशि मीन में 31 मई 2025 दिन शनिवार तक गोचर करेंगे।

मीन राशि के स्वामी ग्रह देव गुरु बृहस्पति होते हैं। इस प्रकार देवगुरु बृहस्पति के साथ राशि परिवर्तन राजयोग का निर्माण होगा। जो परम पुण्य दायक परिणाम प्रदान करने वाला होगा। बुधादित्य योग, गजकेसरी योग, गुरुआदित्य योग, सहित शश व मालव्य नामक पंच महापुरुष योग का निर्माण होगा जो इस महाकुम्भ को श्रेष्ठ फल प्रदायक बनाने वाला होगा।

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