हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) पर्व का बहुत अधिक महत्व होता है। अक्षय तृतीया का पर्व इस वर्ष अत्यंत विशिष्ट संयोगों के साथ मनाया जाएगा। 30 वर्षों बाद इस पावन दिन पर बुधवार का दिन, रोहिणी नक्षत्र, शोभन योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग एक साथ बन रहे हैं। ज्योतिषाचार्य सुरभि जैन के अनुसार, इस दुर्लभ संयोग में किया गया हर पुण्यकर्म अक्षय फल देने वाला होगा और जीवन में सुख, समृद्धि तथा उन्नति के द्वार खोलेगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) को युगादि तिथि भी कहा जाता है। इसी दिन त्रेता युग का प्रारंभ हुआ था। इस दिन दान, जप, तप, हवन आदि कर्मों का फल अनंत गुना बढ़ जाता है। जैन धर्म के अनुसार, भगवान ऋषभदेव ने अपने वर्षभर के कठिन व्रत का पारणा इसी दिन राजा श्रेयांश द्वारा इक्षुरस (गन्ने के रस) से किया था। इसलिए आहार दान, जलदान और औषधि दान का विशेष महत्व है।
सोना-चांदी खरीदने का शुभ मुहूर्त
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के दिन सोना-चांदी खरीदने की परंपरा अत्यंत शुभ मानी जाती है। ज्योतिषाचार्य सुरभि जैन के अनुसार, इस वर्ष सोना खरीदने का शुभ समय सुबह 5 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। यदि सोना-चांदी के बढ़ते दामों के कारण खरीद संभव न हो, तो मिट्टी का घड़ा, गेहूं, चावल, घी आदि खरीदने और दान करने से भी समान पुण्य प्राप्त होता है।
करें ये पुण्य कार्य
– अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के मौके पर पितरों के निमित्त दान करें।
– अक्षय तृतीया पर्व पर वृद्धजनों को भोजन कराएं।
– गरीबों को वस्त्र, छाता एवं अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान करें।
– इक्षुरस (गन्ने का रस) का वितरण करें।
– पक्षियों के लिए जल और दाना की व्यवस्था करें।