रूपहले पर्दे पर अपनी अदाकारी से दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान लाने वाले हास्य अभिनेता राजपाल यादव ने शुक्रवार को संगम नगरी पहुंचने के बाद अध्यात्मिक अंदाज में कहा कि पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलिला स्वरूप में प्रवाहित सरस्वती के संगम पहुंच कर कोई धर्म और जाति नहीं दिखायी पड़ती और यहां सब कुछ गंगामय हो जाता है।
दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम माघ मेला में त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाने के बाद राजपाल ने कहा कि भौतिक सुख का त्यागकर लोग यहां कल्पवास करने आते हैं। यहां पहुंचकर न कोई धर्म और न ही कोई जाति रह जाती है, सबकुछ गंगामय और संगममय हो जाता है। यहां आने वाला हर व्यक्ति अपने, अपने परिवार,समाज और देश के लिए दुआ करता है।
एक सवाल के जवाब में उन्होने कहा, “ मेरी जो भी वेब सिरीज बनी है और भविष्य में जो भी बनेगी उसमें जो भी मेरे द्वारा बोला गया संवाद और अभिनय होगा वह विवादित न/न होकर बच्चे, बूढ़े और नौजवान सब के लिए एक समान होगा। मैं ऐसे ही मनोरंजन का अनुयायी हूं और ऐसा की करने का प्रयास जीवन भर करता रहूंगा।”
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भक्तिमय माहौल में संगम की रेती पर आध्यात्मिक ऊर्जा और आत्मिक शांति की प्राप्ति के लिए पहुंचे नामचीन हास्य अभिनेता ने कहा कि यहां आकर जप-तप करने से उन्हें आंतरिक ऊर्जा मिलती है। वह कहते हैं कि धर्म ही ऐसा माध्यम है जिस पर चलकर इंसान खुद के साथ पूरे समाज का भला कर सकता है।
इससे पहले श्री यादव अपने कुछ लोगों के साथ संगम में डुबकी लगाने के साथ सूर्य भगभवन को अर्ध्य दिया। गंगा मइया की जय, हर-हर महादेव का जयघोष किया। पुरोहित ने त्रिवेणी तट पर सविधि पूजन कराया। उन्होंने लोक कल्याण की कामना से बंधवा स्थित बड़े हनुमान का दर्शन किया।