नई दिल्ली। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhry) को लोकसभा से सस्पेंड कर दिया गया है। अधीर रंजन को लोकसभा से तब तक के लिए निलंबित कर दिया गया है, जब तक कि विशेषाधिकार समिति उनके खिलाफ अपनी रिपोर्ट पेश नहीं कर देती। जानकारी के मुताबिक ये मामला प्रिविलेज समिति के पास लंबित है। इस मामले में समिति जांच रिपोर्ट सौंपेगी। तब तक अधीर रंजन सदन से सस्पेंड रहेंगे।
अधीर रंजन (Adhir Ranjan Chowdhry) के निलंबन के लिए बीजेपी नेता प्रल्हाद जोशी ने एक प्रस्ताव पेश किया, जिसे संसद में स्वीकार कर लिया गया। प्रह्लाद जोशी ने अधीर रंजन चौधरी पर संसदीय कार्यवाही के दौरान लगातार व्यवधान पैदा करने और यहां तक कि देश और इसकी छवि को अपमानित करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह उनकी आदत बन गई है। बार-बार चेतावनी मिलने के बाद भी उन्होंने खुद में सुधार नहीं किया। वह अपनी बहसों में हमेशा बेबुनियाद आरोप लगाते हैं। वह देश और उसकी छवि को नीचा दिखाते हैं और कभी माफी नहीं मांगते।
लोकसभा में गिरा विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव, मोदी सरकार की जीत
कांग्रेस नेता (Adhir Ranjan Chowdhry) ने कहा कि लोकसभा में प्रधानमंत्री की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए भारत गठबंधन के पास अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। इतना ही नहीं, महाभारत का जिक्र करते हुए कहा कि महिलाओं के खिलाफ जो कुछ भी हो रहा है, चाहे वह हस्तिनापुर में हो या मणिपुर में, राजा को आंखें नहीं मूंदनी चाहिए।
लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhry) ने सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि अब ध्रुवीकरण, सांप्रदायिकरण और भगवाकरण को भारत छोड़ने का समय आ गया है। लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान बोलते हुए चौधरी ने कहा कि उन्हें नरेंद्र मोदी के 100 बार प्रधानमंत्री बनने की चिंता नहीं है, लेकिन कांग्रेस पार्टी को इस देश के लोगों की चिंता है। 1942 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए भारत छोड़ो आंदोलन को याद करते हुए, कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन होना चाहिए, सांप्रदायिकता छोड़ना चाहिए, ध्रुवीकरण छोड़ना चाहिए और भगवाकरण छोड़ना चाहिए।
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कांग्रेस केवल यही चाहती थी कि प्रधानमंत्री मणिपुर के लोगों को शांति का संदेश दें और कम से कम एक बार अपने ‘मन की बात’ रेडियो प्रसारण में इसके बारे में बात करें। मणिपुर में हिंसा कोई छोटा मुद्दा नहीं है। मणिपुर जातीय हिंसा और गृहयुद्ध का सामना कर रहा है। इसने वैश्विक आयाम ले लिया है और यूरोपीय संसद के साथ-साथ अमेरिका में भी इस पर चर्चा हुई है। मणिपुर का मुद्दा किसी राज्य तक सीमित नहीं किया जा सकता।