यूपी एसटीएफ ने लखनऊ व उसके आस-पास के जिलों के प्रमुख अस्पतालों में मिलावटी खून की सप्लाई कर लोगों की जिन्दगी से खिलवाड़ करने वाले एक बड़े गिरोह का खुलासा किया है।
लखनऊ- आगरा एक्सपे्रस-वे से पकड़े गये गैंग सरगना समेत दो सदस्य ये मिलावटी खून पंजाब, राजस्थान, हरियाणा आदि राज्यों से तस्करी कर लाते थे। इस पूरे गैंग का सरगना डा. अभय प्रताप सिंह है। उसके पास से 100 यूनिट ब्लड बैग बरामद हुआ है। एसटीएफ को इस मामले में अभी कई और लोगों की तलाश है, इनमें कई डाक्टर और ब्लड बेचने वाले एजेंट भी शामिल हैं।
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि गिरफ्तार किये गये आरोपियों में डाक्टर अभय प्रताप सिंह और अभिषेक पाठक हैं। अभय एमबीबीएस, एमडी डाक्टर है और वह लखनऊ स्थित 101 सरदार पटेल डेन्टल कालेज, रायबरेली रोड के रहने वाला है। वह वर्तमान समय में असिस्टेन्ट प्रोफेसर के पद पर यूपी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साईन्सेज, सैफई, इटावा मेंं कार्यरत है।
इसके अलावा अभिषेक पाठक, लखनऊ के पीजीआई थाना क्षेत्र स्थित सी-121 सपना इन्क्लेव, में रह रहा था लेकिन वह मूलरूप से ग्राम- जमुनी, पोस्ट- अजगरा, थाना-पथरा, सिद्धार्थनगर का रहने वाला है। इनके पास से 100 यूनिट पैक्ड रेड ब्लड सेल्स (पीआरबीसी), 21 फर्जी विभिन्न ब्लड बैंकों के प्रपत्र, 2 रक्तदान शिविर बैनर, फोर्ड इकोस्पोर्ट कार नम्बर- यूपी-32 एलएस-8424, आईकार्ड, 5 मोबाइल फोन, 5 एटीएम कार्ड, 2 पैन कार्ड, डाक्टर मेम्बरशिप कार्ड और 23 हजार 830 रुपये बरामद हुए।
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गौरतलब है कि 26 अक्टूबर 2018 को एसटीएफ ने अवैध तरीके से मानव रक्त (ब्लड) निकाल कर उसको सेलाइन वाटर की मिलावट से दुगना कर बेचने वाले गिरोह का पदार्फाश कर 5 अभियुक्तों को असुरक्षित ब्लड एवं फर्जी दस्तावेजों सहित गिरफ्तार किया गया था। तभी से एसटीएफ टीम द्वारा ब्लड बैंक के सदस्यों पर निगरानी की जा रही थी। इस सम्बन्ध में एसटीएफ की टीमें सुरागरसी में लगी हुई थी।
अभिसूचना संकलन के दौरान जमीनी स्तर के माध्यम से जानकारी मिली कि लखनऊ के रहने वाले कुछ लोगों द्वारा संगठित तरीके से बडेÞ पैमाने पर मिलावटी ब्लड को तस्करी कर लाया जाता है, जिसको ब्लड बैंकों के फर्जी पर्चे आदि बनाकर या सांठ-गांठ कर अधिक कीमत पर जरुरतमंदो व अपने एजेंटो के माध्यम से लखनऊ व आसपास के हास्पिटलों आदि में सप्लाई किया जाता है। गुरूवार को एसटीएफ को सूचना मिली कि बडे पैमाने पर ब्लड तस्करी करके राजस्थान, पंजाब, हरियाणा से लाकर लखनऊ स्थित ब्लड बैंकों और हास्पिटलों में सप्लाई किया जाना है। इस सूचना एसटीएफ टीम ने स्थानीय ड्रग निरीक्षक की टीम को साथ लेकर लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे स्थित प्रारम्भ टोल प्लाजा पर पहॅुचकर घेराबंदी की। कुछ ही देर में सिल्वर कलर की इको स्पोर्ट कार आती हुयी दिखायी दी, उसे रोककर चालक सीट पर बैठे व्यक्ति से पूछताछ की गया तो उसने अपना नाम अभय सिंह बताया। कार की तलाशी लिए जाने पर उसमें गत्ते में रखे हुये ब्लड के पैकेट मिले जिसके बारे मे पूछे जाने पर उसने बताया कि मैं इटावा स्थित सैफई मेडिकल कालेज में सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हुॅ, मेरे द्वारा वर्ष-2000 में केजीएमयू लखनऊ से एमबीबीएस, वर्ष 2007 में पीजीआई लखनऊ से व एमडी ट्रान्सफयूजन मेडिसन का कोर्स किया गया है।
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जिसके बाद से मैं वर्ष-2010 से ओपी चौधरी ब्लड बैंक में एमओआईसी के पद पर नियुक्त रहा। वर्ष-2014 में मैं चरक हास्पिटल, लखनऊ में सलाहकार के पद पर व वर्ष-2015 में नैती हास्पिटल, मथुरा में सलाहकार के पद पर कार्य किया हूँ। इसके साथ ही मैनपुरी व अमेठी स्थित जगदीशपुर में सलाहकार के पद पर जुड़ने के लिए आवेदन किया है। उसने बताया कि मेरे द्वारा राजस्थान, हरियाणा, पंजाब आदि स्थानों से डोनेट किये हुये ब्लड को एकत्र करके सप्लाई के लिए लाया जाता है। पुलिस को मौके पर कुल 45 यूनिट ब्लड के पैकेट गत्ते में रखे प्राप्त हुये, जिनके सम्बन्ध मे वैधानिक प्रपत्र उपलब्ध कराये जाने के लिए कहे जाने पर उसने प्रपत्र प्रस्तुत किये गये, जिन्हें मौके पर उपस्थित औषधि निरीक्षकों की टीम द्वारा उसे अपूर्ण पाया गया। जिसके बारे में पूछने पर उसने बताया कि मैं वैध रुप से ब्लड लाता हॅू, इससे सम्बन्धित कुछ जरुरी कागज इस समय मेरे पास नहीं है। इसके बाद पुलिस टीम उसके बताये हुये स्थान पर लखनऊ स्थित गंगोत्री अपार्टमेन्ट, अवध बिहार योजना पहुंचे। उसने बताया कि मैं बी-03, मकान नं-105 में रहता हूॅ, जो मेरा निजी आवास है, आवश्यक प्रपत्र घर पर हैं। पुलिस टीम उसके आवास पहुंचे, जहॉ पर अभय सिंह द्वारा उपलब्ध कराये गये प्रपत्रों का गहनता से जॉच की गयी लेकिन जॉच के दौरान अभय सिंह घण्टों गुमराह करता रहा लेकिन जांच में सभी प्रपत्रों को फर्जी पाये गये।
पूछताछ में अभय सिंह ने बताया गया कि मेरे द्वारा यह कार्य विगत कई वर्षो से किया जा रहा है। इस पर टीम के सभी सदस्यों द्वारा कमरों की तलाशी ली तो पिछले कमरे में एक और व्यक्ति मिला, जिसने अपना नाम अभिषेक पाठक बताया और वहां तलाशी के दौरान कुल 55 यूनिट ब्लड घरेलू फ्रीज में रखा हुआ मिला। दोनों आरोपियों से कड़ाई से पूछताछ किये जाने पर स्वीकार किया गया कि हम लोग संगठित तरीके से पंजाब, राजस्थान व अन्य प्रान्तो में अपने तस्करों के माध्यम से डोनेट किये हुये अवैध ब्लड को एकत्र करके लखनऊ लाकर उस पर फर्जी पर्चे आदि के द्वारा तैयार करके लखनऊ के अवध हास्पिटल, काकोरी के वर्मा हास्पिटल, लखनऊ निदान ब्लड बैंक, लखनऊ, बंथरा व मोहनलालगंज स्थित हास्पिटल, सुषमा हास्पिटल, व अन्य स्थानों पर सप्लाई किया जाता है।
अन्य प्रान्तों से बल्क में ब्लड देने वाले लोगों में हरियाणा के कमल सत्तु, दाता राम, केडी कमाल, व डा. अजहर राव है व नीलेश सिंह, दिल्ली आदि से ब्लड लिया जाता है। आरोपियों ने खुलासा किया कि स्थानीय स्तर पर हमारे एजेण्ट बृजेश निगम, सौरभ वर्मा, दीपू चौधरी, जावेद खान, धीरज तवर, आदि द्वारा सप्लाई का कार्य किया जाता है। इनके द्वारा आगे बताया गया कि इन राज्यों में रक्त दान करने का अधिक चलन है, जिससे वहाँ रक्त आसानी से उपलब्ध हो जाता है, जबकि उप्र व बिहार से इलाज के लिए आने वाले लोग रक्त दान करने में संकोच करते हैं, जिससे रक्त की माँग यहाँ अधिक बनी रहती है। हम इसी बात का फायदा उठा कर उसे मनचाहे रेट पर ब्लड बेचकर मुनाफा कमाते है। आरोपियों ने बताया कि मेरे द्वारा 1200 रुपय प्रति यूनिट की दर से ब्लड क्रय करके उसको प्रति यूनिट रुपये चार हजार से छ: हजार रुपये प्रति यूनिट की दर से सप्लाई किया जाता है। कभी-कभी ब्लड की अधिक मांग होने पर हम लोगो के द्वारा एक यूनिट ब्लड को स्लाइन वाटर मिलाकर दो यूनिट करके बिक्री किया जाता है।