नई दिल्ली| अमेरिका ने बुधवार को भारत के साथ ऊर्जा क्षेत्र में मजबूत संबंध की वकालत की। उसने यह भी कहा कि वह दोनों देशों में व्यापार अवसरों को बढ़ाने के लिये व्यापार और निवेश पांबदियों को कम करना चाहता है।
सेरा वीक के भारत ऊर्जा मंच को संबोधित करते हुए अमेरिकी के ऊर्जा मंत्री डैन ब्रोइलेट ने ऊर्जा बाजार को स्थिर बनाने में भूमिका निभाने को लेकर भारत के पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान की सराहना की। कोरोना वायरस महामारी फैलने के बाद ऊर्जा बाजार में काफी उतार-चढ़ाव आया। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था तीव्र गति से वृद्धि कर रही है। दोनों देशों के बीच मजबूत और प्रगाढ़ संबंधों को देखते हुए 10 अरब डॉलर का ऊर्जा कारोबार केवल एक शुरूआत है।
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मंत्री ने कहा कि अमेरिका ने तेल एवं गैस क्षेत्र में खोज, बैटरी स्टोरेज और सौर फोटोवोल्टिक सेल जैसे क्षेत्रों में जो प्रौद्योगिकी विकसित की है, उसे भारत के साथ साझा करना चाहता है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरा है, जिसका मतलब दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं के लिये सुरक्षा और स्थिरता है। अमेरिका-भारत रणनीतिक ऊर्जा भागदारी के बारे में ब्रोइलेट ने कहा कि दोनों पक्ष अमेरिकी और भारतीय कंपनियों के लिये आर्थिक अवसरों को चिन्हित करने के लिये काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हम दोनों देशों में निवेश बाधाओं जैसी चीजों पर भी गौर कर रहे हैं। हम अमेरिका में उन कानूनों को देख रहे हैं जिससे निवेश प्रभावित होता है या फिर धीमा होता है।