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फर्जी एनकाउंटर में 18 साल बाद SP सहित 18 पुलिसकर्मियों पर गिरी गाज, जानें पूरा मामला

fake encounter

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शाहजहांपुर। जलालाबाद (Jalalabad) में 18 साल पहले हुए एक फर्जी एनकाउंटर (Fake Encounter) के मामले में कोर्ट ने 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज करने का आदेश दिया है। आरोप है कि कटरी में हुई इस फर्जी मुठभेड़ में अपने खेत में काम करने वाले दो लोगों की मौत हुई थी। हालांकि पुलिस ने यह कहते हुए फाइल बंद कर दी थी कि डकैतों के एक गिरोह के सदस्यों के बीच मुठभेड़ हुई थी।

इस मामले में जिन 18 पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश सेशन कोर्ट ने दिया है, उनमें तत्कालीन एसपी सुशील कुमार सिंह, एएसपी माता प्रसाद और तीन सर्कल ऑफिसर रैंक के पुलिस अधिकारी मुन्नू लाल, जयकरन सिंह भदौरिया और आरके सिंह शामिल हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक जलालाबाद पुलिस स्टेशन के एसएचओ जयशंकर सिंह ने बताया, ‘हमने 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 342 (गलत तरीके से कारावास) और 302 (हत्या) के तहत एफआईआर दर्ज की है। इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दी गई है।’

क्या हुआ 18 साल पहले

वहीं एक आरोपी अधिकारी ने बताया “जलालाबाद में कटरी क्षेत्र एक दूसरे चंबल की तरह था और कई स्थानीय लोग डकैतों के सहयोगी थे, जिससे उन्हें रेकी करने में मदद मिली। मुठभेड़ में मारे गए लोग डकैत थे। मजिस्ट्रियल जांच और सीबीसीआईडी ​​जांच ने सभी को क्लीन चिट दे दी थी। हम किसी जांच से नहीं डरते हैं।”

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दरअसल 3 अक्टूबर 2004 को जलालाबाद थाना क्षेत्र के कटरी के चचुआपुर गांव में धनपाल और प्रहलाद कुमार नाम के दो शख्स की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई थी। उस समय पुलिस को लगा था कि ये दोनों नरेश धिम्मर गिरोह के सदस्य थे, जो इलाके के आसपास डकैती में शामिल था। लेकिन बाद में पता चला कि मारे गए दोनों शख्स की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं थी।

2021 में प्रहलाद के भाई ने दायर की थी याचिका

हत्या के बाद प्रहलाद के भाई राम कीर्ति ने शिकायत दर्ज कराई थी। हालांकि 2005 में एक मजिस्ट्रियल जांच को बंद कर दी गई थी और 2006 में पूरी हुई सीबीसीआईडी ​​जांच में मुठभेड़ को सही बताया गया था। साथ ही एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने की मांग की गई थी। सालों गुजर जाने के बाद प्रहलाद के भाई राम कीर्ति ने 2021 में फिर से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में एक आवेदन दायर किया, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया।

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इसके बाद उन्होंने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत में आवेदन दिया, जिन्होंने आखिरकार आदेश दिया कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए। यह पूछे जाने पर कि वह पहले अदालत क्यों नहीं गए, तो राम कीर्ति ने कहा, “मैं दबाव में चुप था लेकिन अब मैंने अपने भाई के न्याय के लिए लड़ने का फैसला किया है।”

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