Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

…पड़ेंगे कोड़े, कटेंगे हाथ-पैर, 21 साल बाद फिर लौटा शरिया कानून

Sharia law

Sharia law

अफगानिस्तान में 21 साल बाद फिर शरिया कानून (Sharia law) लौट आया है। तालिबान ने इसका ऐलान कर दिया है। तालिबानी सरकार ने सभी जजों को शरिया कानून के तहत अपराधियों को सजा सुनाने को कहा है।

तालिबान (Taliban) की सरकार ने सभी जजों से साफ कहा है कि वो इस्लामिक कानून को पूरी तरह से लागू करें। इसके बाद अब अपराधियों को शरिया कानून के तहत सजा दी जाएगी। इसमें पत्थरबाजी, कोड़े मारना, चौराहे पर फांसी पर लटकाना और चोरों के हाथ-पैर काटने की सजा दी जाएगी।

अमेरिकी सेना की वापसी के बाद पिछले साल 15 अगस्त को तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हो गया था। तालिबानियों के कब्जे के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए थे। तालिबान जब सत्ता में आया था तो उसने खुद को बदलने की बात कही थी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। तालिबानी सरकार लगातार कई तरह के प्रतिबंध लगाती जा रही है। हाल ही में महिलाओं की पार्क और जिम में एंट्री भी बंद कर दी गई है।

नया फरमान जारी

दो दिन पहले तालिबान ने जजों के साथ मीटिंग की थी। इस मीटिंग में तालिबान का सर्वोच्च नेता हैबतुल्लाह अखुंदजादा भी था। तालिबान के प्रवक्ता मुजाहिद ने बताया कि मीटिंग में अखुंदजादा ने जजों को शरिया कानून के तहत सजा देने का आदेश दिया है।

पिछले साल अगस्त में सत्ता में आने के बाद से ही अखुंदजादा कहीं दिखाई नहीं दिया है। लेकिन माना जाता है कि वो कंधार से ही सरकार को चला रहा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान ने सभी चोरों, किडनैपर्स और देशद्रोहियों की केस फाइल को अच्छे से देखने को कहा है। साथ ही ये भी कहा है कि अगर इन पर शरिया कानून की शर्तें लागू होती हैं तो उसे लागू किया जाए।

क्या है शरिया कानून (Sharia law)?

शरिया कानून इस्लाम की कानूनी व्यवस्था है। शरिया का शाब्दिक अर्थ ‘पानी का एक साफ और व्यवस्थित रास्ता’ होता है।

शरिया कानून में अपराध को तीन श्रेणियों- ‘हुदुद’, ‘किसस’ और ‘ताजीर’ में बांटा गया है। हुदुद में गंभीर अपराधों आते हैं, जिनमें सजा जरूरी है। जबकि, किसस में बदले की भावना जैसा है, जिसे अक्सर आंख के बदले आंख भी कहा जाता है।

‘हुदुद’ की श्रेणी में व्यभिचार (एडल्ट्री), किसी पर झूठा इल्जाम लगाना, शराब पीना, चोरी करना, अपहरण करना, डकैती करना, मजहब त्यागना या विद्रोह जैसे अपराध शामिल हैं।

‘किसस’ की श्रेणी में मर्डर और किसी को जानबूझकर चोट पहुंचाना जैसे अपराध शामिल हैं। इसमें अपराधी के साथ वैसा ही किया जाता है, जैसा वो करता है।

दिल्ली के बाद अब यूपी में मिला युवती का टुकड़ों में शव

जबकि, ‘ताजीर’ में उन अपराधों को शामिल किया गया है, जिसमें किसी तरह की सजा का जिक्र नहीं है। ऐसे मामलों में जजों के विवेक पर सजा तय होती है।

क्या-क्या मिलती है सजा?

शरिया कानून के तहत अपराधियों को कोड़े मारने की सजा से लेकर मौत की सजा देने तक का प्रावधान है। इस दौरान अपराधी को बुरी तरह यातनाएं भी दी जाती हैं। इसलिए शरिया कानून की कई सजाओं पर संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिबंध लगा रखा है।

इस कानून के तहत, एडल्ट्री करने वालों को कोड़े मारने की सजा दी जाती है। कई मामलों में अपराधी को पत्थर से मारकर मौत की सजा दी जाती है। चोरी करने पर चोर के हाथ काट दिए जाते हैं। अगर चोरी के दौरान हथियार का इस्तेमाल हुआ है तो फिर उसके हाथ और पैर दोनों भी काटे जा सकते हैं। चोरी की गंभीरता पर भी सजा निर्भर करती है। कई मामलों में फांसी पर भी लटका दिया जाता है।

वहीं, हत्या के लिए मौत की सजा है। ऐसे मामलों को किसस की श्रेणी में डाला गया है। किसस पीड़ित या अपराध के शिकार परिवारों पर निर्भर है। वो चाहें तो अपराधी को मौत की सजा भी दे सकते हैं या फिर माफ कर सकते हैं या उससे मुआवजा ले सकते हैं।

जबकि, ताजीर के मामलों में अपराधी को गंभीर चेतावनी दी जाती है या फिर कुछ-कुछ मामलों में उसे भी मौत की सजा सुनाई जाती है। ताजीर की श्रेणी में उन मामलों को रखा गया है जिनके लिए शरिया में कोई विशिष्ट सजा नहीं है। हालांकि, इन मामलों में सबकुछ जज के विवेक पर निर्भर करता है।

Exit mobile version