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आखिर क्यों छिड़ी WhatsApp और सरकार के बीच जंग?

After all, why did the war between WhatsApp and the government erupt?

After all, why did the war between WhatsApp and the government erupt?

भारत सरकार और WhatsApp के बीच ट्रेसेबिलिटी के मुद्दे पर तनातनी बढ़ गई है। दरअसल ये पूरा मामला भारत सरकार के लाए नए आईटी नियमों को लेकर हुआ है। बता दे WhatsApp का कहना है कि ट्रेसेबिलिटी का प्रावधान असंवैधानिक और लोगों के निजता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है। बता दे ट्रेसेबिलिटी का मतलब ये कि सरकार के पूछे जाने पर WhatsApp को बताना होगा कि किसी भी मैसेज को किसने सबसे पहले भेजा है। जिसको WhatsApp इसे अपने नियमों और संविधान के खिलाफ बता रहा है।

नए IT रूल्स में कौन से ऐसे बदलाव हैं, जिनपर हो रहा हंगामा-

फरवरी 2021 में भारत सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों तथा डिजिटल न्यूज मीडिया के लिए ‘इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड’ की घोषणा की। इन गाइडलाइंस के अनुसार बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के लिये ये तीन निर्देश मानने बाध्यकारी होंगे:
सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को शिकायत निवारण और अनुपालन मैकेनिज्म लागू करना होगा। इसके तहत उन्हे शिकायत ऑफिसर,चीफ कंप्लायंस ऑफिसर और एक नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा। इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को यूजर्स से प्राप्त शिकायतों और उस पर की गई कार्यवाही की रिपोर्ट हर महीने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को भेजना होगा।

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तीसरे निर्देश के अनुसार मैसेजिंग ऐप को किसी भी मैसेज के ओरिजिन(सबसे पहले मैसेज किसने भेजा) को ट्रैक करने के लिए जरूरी तकनीकी बदलाव करने होंगे और अथॉरिटी की मांग पर जरूरी जानकारियां उपलब्ध करानी होगी। सरकार के अनुसार अगर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 25 मई 2021 तक इन निर्देशों का पालन करने में असफल रहते हैं तो उन्हें IT एक्ट की धारा 79 के तहत प्राप्त सुरक्षा छीन ली जाएगी। ( IT एक्ट की धारा 79 के अनुसार कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तब तक अपने प्लेटफार्म पर किये गये किसी भी मैसेज आदान-प्रदान के लिए कानूनी रूप से जिम्मेवार नहीं है, जब तक कि उसने उसमे अपनी तरफ से कोई बदलाव ना किया हो, मैसेज की शुरुआत ना की हो या मैसेज किस रिसीवर को प्राप्त होगा इसको नियंत्रित ना किया।)

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ट्रेसिबिलिटी का प्रावधान क्या है? WhatsApp की आपत्ति क्या है?

भारत सरकार से नए गाइडलाइंस, विशेषकर ट्रेसिबिलिटी के ऊपर मतभेद के बाद वॉट्सऐप ने अपना पक्ष रखने के लिए एक ब्लॉग पोस्ट पब्लिश किया है। उसके अनुसार वॉट्सऐप ने अपने ऐप पर 2016 से ही एंड टू एंड एंक्रिप्शन लागू कर रखा है जिससे भेजे गए मैसेज, फोटोज, वीडियोज, वॉइस नोट्स एवं कॉल को केवल सेंडर या जिसको भेजा है वह रिसीवर ही पढ़ सकता है। यानी एंड टू एंड एंक्रिप्शन में यहां तक कि वॉट्सऐप भी भेजे गए मैसेज को नहीं पढ़ सकता।

लेकिन वॉट्सऐप के अनुसार IT रूल्स में ट्रेसिबिलिटी का प्रावधान इसके विपरीत है क्योंकि ट्रेसिबिलिटी में किसी भी मैसेज को किस-किसने भेजा,पढ़ा है और उसको सबसे पहले किसने भेजा था, यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को ट्रैक करना पड़ेगा। इसके लिए वॉट्सऐप जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म को हर मैसेज को एक परमानेंट पहचान चिन्ह देना होगा- फिंगरप्रिंट की तरह-और अपने एंड टू एंड एंक्रिप्शन की सुरक्षा खत्म करते हुए हरेक मैसेज के पहचान चिन्ह का बिग डेटा तैयार करना होगा। जब सरकार या ऑथोरिटी किसी भी मैसेज को ट्रैक करने का निर्देश देगी तो नए IT रूल्स के अनुसार यह सोशल प्लेटफॉर्म के लिए बाध्यकारी होगा कि वे उन्हें पूरी जानकारी प्रदान करें।

 

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