वॉशिंगटन: दुनियाभर में कोरोना के मामलों में लगाता बढ़ोतरी देखी जा रही है। इससे बचाव के लिए सावधानियां बरतनी बेहद जरूरी होती हैं। थोड़ी सी लापरवाही भी जानलेवा साबित हो सकती है। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा ही एक मामला अमेरिका में सामने आया जहां इस संक्रमण के शुरुआती मामले सामने आने के समय मार्च में एक परिवार घूमने के लिए नैशविल शहर में गया था और एक सदस्य वायरस की चपेट में आ गया।
डेविड जॉनसन कुल 46 दिनों तक वह अस्पताल में रहे, इनमें से करीब 21 दिन उन्हें लाइफ सपोर्ट पर रखा गया। सीएनएन को दिए इंटरव्यू में जॉनसन ने बताया कि एक समय पर डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया था और उनके भाई ने तो उनके अंतिम संस्कार की बात करनी शुरू कर दिया था लेकिन उनकी तबीयत में अचानक सुधार आया। उन्होंने कहा कि यह शायद मेरे परिवार की दुआओं का ही नतीजा था कि हालत में सुधार आना शुरू हुआ और मैं ठीक होने के कगार पर पहुंचा।
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लक्षण थे अलग
जॉनसन ने बताया कि नैशविल में वह एक खेल सम्मेलन को कवर करने गए थे। परिवार के लोगों ने जॉनसन की पत्नी का जन्मदिन मनाने का प्लान भी बनाया लेकिन बाहर का खाना खाने के बाद उन्हें पेट में दर्द और उल्टी होने लगी। उन्हें पहले लगा कि कहीं कोरोना के कारण तो यह नहीं हो रहा, लेकिन पेट दर्द और उल्टी इसके लक्षण नहीं हैं यही सोचकर उन्होंने उस समय इसका टेस्ट नहीं कराया। उन्हें लगा कि शायद फूड पॉइजनिंग के कारण यह सब हो रहा है।
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सरकार इस ऐप के जरिए स्टोरेज पॉइंट्स पर तापमान में बदलाव को ट्रैक कर पाएगी। यह बेहद अहम है क्योंकि वैक्सीन को इस्तेमाल से पहले सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है। कोविन ऐप वैक्सीन के स्टोरेज फैसिलिटी से हेल्थ सेंटर, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल या टीकाकरण केंद्र तक के सफर को भी ट्रैक करेगा। अगर कहीं स्टॉक खत्म हो रहा है तो यह ऐप उसपर भी नोटिफिकेशन भेजेगा।
कोविन ऐप के जरिए लोग अपने टीकाकरण का शेड्यूल, लोकेशन और यहां तक कि टीका कौन लगाएगा, इसकी डीटेल्स भी चेक कर पाएंगे। एक बार वैक्सीन की दोनों डोज लग गईं तो ऐप में एक टीकाकरण सर्टिफिकेट भी जेनरेट होगा। इसे डिजिलॉकर में भी सेव किया जा सकेगा।
ऐप में चारों प्रॉयरिटी ग्रुप्स- हेल्थकेयर वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स, 50 साल से ज्यादा उम्र के लोग और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोग मौजूद हैं। जिला स्तर पर इसमें सरकारी और निजी अस्पतालों में काम करने वालों का डेटा फीड किया जाएगा। उन्हें ही अप्रूवल के बाद सबसे पहले वैक्सीन की डोज दी जानी है।
केंद्र सरकार सीधे वैक्सीन निर्माताओं से डोज खरीदेगी। राज्यों और जिलों में मौजूद नेटवर्क की मदद से पहले प्राथमिकता समूहों को टीका लगेगा। राज्य सरकारें उन इमारतों की पहचान कर रही हैं जिन्हें वैक्सीनेशन बूथ की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। इनमें सिर्फ हेल्थकेयर फैसिलिटीज ही शामिल नहीं होंगी। स्कूलों, पंचायती इमारतों और आंगनबाड़ी केंद्र की बिल्डिंग का इस्तेमाल की कोविड टीकाकरण के लिए हो सकता है। टीकाकरण की लिस्ट में शामिल कर व्यक्ति को उसके आधार से लिंक किया जाएगा ताकि डुप्लीकेसी की संभावना न रहे। इससे यह भी ट्रैक किया जा सकेगा कि किसको टीका लग चुका है और किसे नहीं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के अनुसार, जुलाई 2021 तक प्राथमिकता के आधार पर 25-30 करोड़ भारतीयों को टीका लग सकता है।
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भारत के पास सभी जिलों में करीब 28,000 वैक्सीन स्टोरेज सेंटर्स हैं जो eVIN से जुड़े हुए हैं। लॉजिस्टिक्स मैनेज करने में कम से कम 40,000 फ्रंटलाइन वर्कर्स लगे हैं। स्टोरेज का तापमान चेक करने के लिए कम से कम 50 हजार टेम्प्रेसर लॉगर्स हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के पास इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क यानी eVIN जैसा डिजिटल प्लेटफॉर्म पहले से मौजूद है। eVIN से सभी कोल्ड चेन पॉइंट्स में वैक्सीन के स्टॉक और स्टोरेज टेम्प्रेचर की रियल-टाइम जानकारी मिलती है। सरकार इसके डेटा को कोविन ऐप से इंटीग्रेट कर सकती है।
जॉनसन ने बताया कि वापस लौटने के बाद उनके दोनों बेटों की तबीयत खराब होने लगी। साथ ही उनकी भूख कम हो गई थी लेकिन सबसे ज्यादा तबीयत जॉनसन की खराब हुई। हालांकि पहले उनमें कोविड के लक्षण नहीं दिखे, इस कारण डॉक्टरों ने उन्हें घर पर ही रहने की सलाह दी। फिर सांस लेने में दिक्कत और खांसी का बढ़ना लगातार जारी रहा, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। उनके परिवार ने बताया कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। जॉनसन तो इमरजेंसी के गेट पर भी गिर पड़े थे। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया और तुरंत ऑक्सिजन सपोर्ट पर रखा गया।
जब डॉक्टरों ने भी छोड़ी उम्मीद
जॉनसन की पत्नी ने बताया कि मेडिकल स्टाफ ने शुरुआती आठ दिनों के बाद कहा था कि जॉनसन के जिंदा रहने के चांस केवल 5 प्रतिशत है। महामारी के उस दौर में अमेरिका में वेंटिलेटर की बेहद कमी थी। उन्होंने कहा कि उनके पति एक फाइटर हैं। उन्होंने डॉक्टरों से गुजारिश की कि उन्हें वेंटिलेटर पर रखें, वह जल्दी ठीक होंगे। जॉनसन ने बताया कि डॉक्टरों ने उन्हें रख लिया लेकिन परिवार को बता दिया था कि वह ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहेंगे।
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कुछ समय बाद अपनी स्थिति में सुधार के कारण जॉनसन बोलने में असमर्थ हो गए। वह 12 मई को घर लौटे लेकिन कमजोरी और वजन घटने के कारण उन्हें छह हफ्ते और लग गए अपने पैरों पर खड़े होने में। उनका 25 किलो वजन भी कम हो गया था। उन्होंने बताया कि घर आने के बाद लोग मेरे घर के बाहर किराने का सामान रख देते थे। मदद के लिए उन्होंने सभी का धन्यवाद दिया। जॉनसन का मानना है कि परिवार और समाज के साथ और दुआओं के कारण ही वह ठीक हुए।