नई दिल्ली। केंद्र सरकार की तरफ से पेट्रोल, डीजल (petrol and diesel) को जीएसटी (GST) के दायरे में लाए जाने का प्रस्ताव काउंसिल में आता देखने को मिल सकता है। विधानसभा चुनावों में केंद्र सरकार की सत्ता वाली भारतीय जनता पार्टी के अच्छे प्रदर्शन का असर आने वाले दिनों में देश में लिए जाने वाले आर्थिक फैसलों पर भी दिखाई देता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इसके बाद सरकार बड़े आर्थिक फैसले लेने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ पाएगी।
जीएसटी बढ़ा सकती है मिनिमम टैक्स रेट
आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ योगेंद्र कपूर ने बताया कि अब सरकार के पास राज्यसभा में सीटों की कमी का भी खतरा नहीं रहेगा। साथ ही जीएसटी परिषद में भी बीजेपी समर्थिक सरकारों के वित्तमंत्रियों की संख्या पहले जैसी बरकरार रहेगी। ऐसे में उम्मीद है कि आने वाले दिनों में केंद्र सरकार की तरफ से पेट्रोल, डीजल (petrol and diesel) को जीएसटी (GST) के दायरे में लाए जाने का प्रस्ताव काउंसिल में आता देखने को मिल सकता है। उन्होंने ये भी कहा कि अगर चुनाव परिणाम उलटे आते तो न सिर्फ विपक्षी दलों को सरकार का घेरने का मौका मिल जाता, बल्कि कई अहम फैसलों पर रोड़े भी अटकते नजर आते।
जानकारी के मुताबिक, इस महीने के आखिर तक या फिर अगले महीने के पहले हफ्ते में जीएसटी (GST) काउंसिल की बैठक हो सकती है। इस बैठक में चुनाव वाले राज्यों के वित्तमंत्री भी शामिल होंगे। इस बैठक में राज्यों के वित्तमंत्रियों की एक समिति जीएसटी (GST) काउंसिल को सबसे निचले जीएसटी (GST) स्लैब को बढ़ाने और तर्कसंगत बनाने जैसे कदमों के सुझाव दे सकती है। इन सुझावों में सबसे निचली टैक्स दर को पांच फीसदी से बढ़ाए जाने के आसार हैं।
पीयूष जैन के बाद शिखर पान मसाला पर जीएसटी छापा, दो हिरासत में
जानकारी के मुताबिक, इन सुझावों पर मंथन चल रहा है कि ये दर आठ फीसदी हो जाएगी। इसके साथ ही जीएसटी (GST) प्रणाली में छूट वाले उत्पादों की सूची में भी फेरबदल किया जा सकता है। इस कदम से राजस्व तो बढ़ेगा ही, क्षतिपूर्ति के लिए केंद्र पर राज्यों की निर्भरता भी घटेगी। मौजूदा दौर में जीएसटी (GST) में चार स्लैब हैं, जिसमें टैक्स की दर पांच, 12, 18 और 28 फीसदी है। जरूरी सामानों को या तो इस टैक्स से छूट दी गई है या फिर उन वस्तुओं को सबसे निचले स्लैब में रखा गया है।
जीएसटी कमिश्नर संग रचाई थी शादी, कुछ महीनों बाद नाराज होकर खाया जहर
वहीं लग्जरी वस्तुओं को सबसे ऊपरी कर स्लैब में रखा गया है। आंकड़ों के मुताबिक, सबसे निचली टैक्स दर को पांच फीसदी से बढ़ाकर आठ फीसदी कर दिया जाएगा तो सालाना डेढ़ लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है। इसके साथ ही केंद्र सरकार बढ़ते कच्चे तेल के दामों को देखते हुए पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाए जाने के प्रस्ताव पर भी विचार कर सकती है।