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स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2023 में इस यूपी के शहर की हवा सबसे साफ, देश में दूसरे नंबर पर

UP AQI

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आगरा। यूपी में ताजनगरी ने साफ आबोहवा के मामले में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2023 (Clean Air Survey) में 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की श्रेणी में इंदौर ने पहला और आगरा ने दूसरा स्थान प्राप्त किया है। देश में साफ हवा के मामले में आगरा दूसरे तो यूपी में टॉप पर है।

पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग ने विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सफलता के लिए बधाई दी है। सर्वेक्षण में प्रथम पांच में से तीन पुरस्कार मध्य प्रदेश के खाते में गये हैं। इंदौर को पहला, आगरा को दूसरा, ठाणे को तीसरा, श्रीनगर को चौथा और भोपाल को 5वां स्थान मिला है। जबलपुर ने 13वां और ग्वालियर ने 41वां स्थान प्राप्त किया है।

कैसे होता है चयन

प्रदूषण नियंत्रण के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वच्छ वायु (Clean Air Survey) कार्यक्रम में ‘प्राण’ ऑनलाइन पोर्टल पर शहरों की ओर से भी स्व-मूल्यांकन किया जाता है। शहरों को ठोस अपशष्टि, सड़क धूल, निर्माण, विध्वंस कचरे का प्रबंधन, वाहनों के उत्सर्जन पर नियंत्रण और औद्योगिक प्रदूषण के संबंध में लागू की गई गतिविधियों और उपायों की रिपोर्ट देनी होती है।

सामूहिक प्रयासों से आया सुधार

सुप्रीम कोर्ट की लगातार मानीटरिंग, प्रदूषण विभाग की लगातार कार्यवाही के बाद हालातों में सुधार आया है। साथ ही नगर निगम ने भी सफाई के तरीकों में बदलाव किया है। प्रमुख सड़कों पर दिन में दो बार पानी का छिड़काव भी बहुत काम आया है। कूड़ा जलाने वालों पर जुर्माने ने भी भय पैदा किया है। अब लोगों में भी साफ-सफाई के प्रति जागरूकता बढ़ी है।

तीन महीने जहरीली रहती थी आगरा की हवाएं

ताजनगरी आगरा के सिर देश के दूसरे सबसे स्वच्छ आबोहवा वाले शहर का सेहरा बंधा है। लेकिन, पुरानी बात नहीं जब तीन महीने यहां की हवाओं में जहर घुला रहता था। दीपावली से पहले खराब हुई हवाएं दिसंबर-जनवरी तक सांस लेने लायक नहीं रहती थीं। आगरा के जहरीला होने के बड़े कारणों में करीबी हरियाणा में पराली जलाना प्रमुख था।

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अन्य कारणों में खुदी हुई सड़कें, धुआं उगलने वाली फैक्ट्रियां, पेठा बनाने वाली इकाइयां, साफ-सफाई के गलत तरीके, निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल आदि शामिल थे। उन दिनों हवा में पीएम 2.5 आकार के सूक्ष्म कणों की मौजूदगी का स्तर 500 माइक्रोग्राम पर मीटर क्यूब से अधिक रहा था। यह प्रदूषण के मानकों की सबसे खतरनाक स्थिति है।

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