इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा सेवा काल में मृत अध्यापकों के परिवार को उनकी ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं करने को गंभीरता से लिया है।
कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा से जवाब मांगा है कि हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में पारित कई आदेशों के बावजूद मृतक कर्मचारी की ग्रेच्युटी का भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है और क्यों अदालत पर अनावश्यक मुकदमे का बोझ डाला जा रहा है। आगरा की संजना मित्तल की याचिका पर न्यायमूर्ति पंकज मित्तल सुनवाई कर रहे थे ।
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याचिका के अनुसार याची के पति जैन इंटर कॉलेज हरिपर्वत आगरा में प्रवक्ता थे। सेवा काल के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। उनकी पारिवरिक पेंशन और बीमा आदि का भुगतान तो विभाग ने समय से कर दिया मगर ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया गया। इसके विरुद्ध हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई तो हाईकोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक आगरा को समय से ग्रेच्युटी का भुगतान पर निर्णय लेने का निर्देश दिया।
इस आदेश के बाद डीआईओएस ने याची का प्रत्यावेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याची के पति ने अपने सेवा काल में ग्रेच्युटी भुगतान का विकल्प नहीं चुना था। इसलिए उनको ग्रेच्युटी नहीं दी सकती है। जबकि ऐसे कई मामलों में पूर्व हाईकोर्ट ने ग्रेच्युटी भुगतान का आदेश दिया है। इस पर कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव से हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है कि कोर्ट के निर्देश के बावजूद ग्रेच्युटी का भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है।