नई दिल्ली। केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों पर अपनी चिंताओं से अवगत कराने और इसे वापस लेने की मांग को लेकर विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार शाम को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा।
We informed the President that it is absolutely critical that these anti-farmer laws are taken back: Rahul Gandhi, Congress pic.twitter.com/4hco6XlGbL
— ANI (@ANI) December 9, 2020
राष्ट्रपति से मिलने के लिए पहुंचे राहुल गांधी ने भी कहा कि हमने राष्ट्रपति से कहा है कि इन किसान विरोधी कानूनों को वापस लिया जाए।
We have given a memorandum to the President. We are asking to repeal agriculture laws and electricity amendment bill that were passed in anti-democratic manner without proper discussions and consultations: Sitaram Yechury, CPI-M https://t.co/j7dwrs2Y72 pic.twitter.com/jXj2Whyyu3
— ANI (@ANI) December 9, 2020
सीपीआई-एम के नेता सीताराम येचुरी ने बताया कि हमनें राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा है। हमने उनसे अपील की है कि कृषि कानूनों और बिजली संशोधन विधेयक जिन्हें गैर लोकतांत्रिक तरीके से पास किया गया था उन्हें वापस लिया जाए।
In this cold, the farmers are on the streets protesting peacefully, expressing their unhappiness. It is the duty of the government to resolve this issue: Sharad Pawar, NCP after meeting President Kovind over farm laws pic.twitter.com/wn80Q8S3XB
— ANI (@ANI) December 9, 2020
शरद पवार ने कहा कि कृषि बिलों पर गहन चर्चा के लिए सभी विपक्षी दलों से एक अनुरोध किया गया था। कहा कि इसे चुनिंदा समिति को भेजा जाना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से, कोई सुझाव स्वीकार नहीं किया गया और बिलों को जल्दबाजी में पारित किया गया। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि इस ठंड में किसान अपनी विरोध जताते हुए शांतिपूर्ण तरीके से सड़कों पर उतर रहे हैं। इस मुद्दे को हल करना सरकार का कर्तव्य है।
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राष्ट्रपति से मुलाकात करने के पहले सीताराम येचुरी ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को 25 से अधिक विपक्षी दलों ने अपना समर्थन दिया है। ये कानून भारत के हक में नहीं हैं और यह हमारी खाद्य सुरक्षा के लिए भी खतरा है। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राकांपा प्रमुख शरद पवार, द्रमुक के एक प्रतिनिधि, भाकपा के महासचिव डी राजा और माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी शामिल थे।
जानें क्या है मामला?
कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर सरकार ने सितंबर में तीनों कृषि कानूनों को लागू किया था। सरकार ने कहा था कि इन कानूनों के बाद बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसानों को देश में कहीं पर भी अपने उत्पाद को बेचने की अनुमति होगी। वहीं, किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि ये कानून उद्योग जगत को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए हैं और इनसे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी।