भागलपुर केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह ने दावा किया कि ऐतिहासिक कृषि सुधार कानूनों का कई किसान संगठनों ने स्वागत किया है और वे इस कानून से बहुत खुश हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता श्री सिंह ने शुक्रवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि इन तीन कृषि कानूनों से किसानों में एक नई उम्मीद जगी है। देश के अलग-अलग क्षेत्रों में ऐसे किसानों के उदाहरण भी लगातार मिल रहे हैं जिन्होंने इस नए कानून का लाभ उठाना शुरू भी कर दिया है।
उन्होंने कहा कि इन कृषि सुधारों का दूसरा पक्ष यह भी है कि कुछ किसान संगठनों में इस कानून को लेकर भ्रम पैदा कर दिया गया है। उनका कर्तव्य है कि हर किसान का भ्रम दूर कर उनकी चिंताओं को समाप्त कराये।
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श्री सिंह ने कहा कि उनका दायित्व है कि सरकार और किसानों के बीच दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में जो झूठ की दीवार बनाने की साजिश रची जा रही है उसकी सच्चाई आपसब के सामने रखें। उन्होंने कहा, “मैं खेती की बारीकियां और खेती की चुनौतियां दोनों को ही देखते हुए, समझते हुए बड़ा हुआ हूं। खेत में पानी देने के लिए देर रात तक जागना, पानी चलते समय मेड़ का टूट जाने पर उसे बंद करने के लिए भागना और असमय बारिश का डर वहीं समय पर बारिश की खुशी। इन सब परिस्थितियों से मैं वाकिफ हूं। फसल कटने के बाद उसे बेचने के लिए हफ्तों का इंतजार भी करते हुए किसानों को देखा है।”
भाजपा नेता ने कहा कि विपक्षियों के द्वारा झूठ फैलाया जा रहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो रही है, कृषि मंडियां बंद की जा रही हैं। किसानों की जमीन खतरे में है। किसानों पर किसी भी प्रकार के बकाए के बदले कांट्रैक्टर्स जमीन हथिया सकते हैं। किसानों को भुगतान नहीं किया जाएगा। किसान कॉन्ट्रैक्ट को खत्म नहीं कर सकते हैं। पहले कभी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की कोशिश नहीं की गई। इन नए कानूनों को लेकर कोई सलाह मशविरा या चर्चा नहीं की गई है। वहीं, सच्चाई यह है कि एमएसपी व्यवस्था जारी है, और जारी रहेगा। कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) मंडियां कायम रहेगी। ये मंडियां इस कानून की परिधि से बाहर है।