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राज्यसभा में विपक्ष के भारी हंगामे के बीच कृषि बिल पास , मोदी सरकार की बड़ी जीत

कृषि बिल पास Agriculture bill passes

कृषि बिल पास

नई दिल्ली। राज्यसभा में रविवार को विपक्ष के भारी हंगामे और नारेबाजी के बीच ध्वनि मत से कृषि संबंधी विधेयकों को पास कर दिया है। इसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही को सोमवार सुबह नौ बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

कृषि से जुड़े दो विधेयक पर राज्यसभा में विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि फसल की खरीद पहले की तरह रहेगी। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का विधेयक से कोई लेना-देना नहीं है। एमएसपी का सिस्टम बना रहेगा। इसमें किसी को शंका करने की जरूरत नहीं है। नए विधेयक से किसानों की आमदनी बढ़ेगी। एमएसपी को लेकर कोई भ्रम न फैलाया जाए।

 

इस बीच विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया है। कुछ सांसद वेल में पहुंच गए है। इस बीच कुछ सांसद सभापति की कुर्सी के पास पहुंच गए और उनका माइक खींच लिया।कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद का कहना है कि राज्यसभा का समय न बढ़ाया जाए। मंत्री का जवाब कल होना चाहिए क्योंकि अधिकतर सदस्यों की यही इच्छा है। वहीं सरकार विधेयकों को आज ही पास करवाना चाहती है।

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पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस के सांसद एचडी देवगौड़ा राज्यसभा में कहा कि प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि महामारी के मद्देनजर विधेयक पास कराने की जल्दबाजी क्यों है? उन्हें यह बताना चाहिए कि लघु और दीर्घावधि में कृषक समुदाय के लिए कृषि विधेयक क्या करेंगे और इससे किसानों की आय दोगुनी करने के सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने में कैसे मदद मिलेगी?

शिवसेना सांसद संजय राउत ने राज्यसभा में कहा कि क्या सरकार देश को आश्वस्त कर सकती है कि कृषि सुधार विधेयकों के पारित होने के बाद, किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी । कोई भी किसान आत्महत्या नहीं करेगा? इन विधेयकों पर चर्चा करने के लिए एक विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने बताया था कि विधेयक को लेकर अफवाह फैलाई जा रही है, ऐसे में मैं पूछना चाहता हूं कि क्या अफवाह पर ही एक मंत्री ने इस्तीफा दिया।

 

जब पूरा देश लॉकडाउन में घर में बैठा था तो किसान खेत में काम कर रहा था। इसलिए हम आज अनाज खा रहे हैं। इस बिल के पास होने के बाद इनकम डबल हो जाएगी और किसान आत्महत्या नहीं करेगा और उनके बच्चे भूखे नहीं सोएंगे। अब आप आश्वस्त करते हैं तो यह सरकार की सबसे सफलता होगी। इस बिल को लेकर पूरे देश में विरोध नहीं हो रहा है इस बिल को लेकर जरूर कोई भ्रम है। क्या केन्द्र मंत्री ने एक अफवाह की वजह से इस्तीफा दे दिया। क्या वो कान के इतने कच्चे थे। अभी तो शुरू नहीं किया आप खत्म करने के लिए कह रहे हैं। खेती धीरे-धीरे कॉरपोरेट के हाथ में जा रही है।

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शिरोमणि अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल ने कृषि विधेयकों पर चर्चा के दौरान कहा कि इन विधेयकों को एक प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए ताकि सभी हितधारकों को सुना जा सके। यह मत सोचिए कि पंजाब के किसान कमजोर हैं।

आप के संजय सिंह ने कहा कि दोनों विधेयक पूरी तरह से किसानों के खिलाफ हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार विभिन्न कानूनों के जरिए राज्यों के अधिकार अपने हाथ में लेना चाहती है। सिंह ने राज्यों को उनके जीएसटी बकाए का भुगतान किए जाने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि यह सरकार आश्वासन और वादे करती है, लेकिन उन्हें पूरा नहीं करती है।

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उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया, एमएसपी डेढ़ गुना करने का वादा किया, युवाओं को रोजगार लेने का वादा किया लेकिन किसी भी वादे को पूरा नहीं किया है। उन्होंने कहा कि देश भर के किसान इसके विरोध में सड़कों पर हैं और उनकी पार्टी पूरे देश में इसका विरोध करेगी।

एनसीपी सांसद प्रफुल्ल पटेल हमारे देश में कई लोग कृषि पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार यह बिल ला रही थी तो उसे शरद पवार और बादल जैसे किसान नेताओं से पहले बात करनी चाहिए थी।

कांग्रेस के पास इन विधेयकों का विरोध करने का कोई कारण नहीं है। इसके बाद उन्होंने एक विवादित बयान दिया। जिस पर डॉ. एल. हनुमनथैया ने कहा कि कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं जाएगा। सांसद रेड्डी के बयान के बाद कांग्रेस ने हंगामा किया। कांग्रेस एमपी आनंद शर्मा ने उनसे माफी की मांग की।

रामगोपाल यादव ने कहा कि सरकार कई महत्वपूर्ण बिलों पर बहस नहीं करना चाहता है। बस उनकों बिलों को पास करना चाहते हैं। सरकार ने कोरोना के नाम पर बस बिल पेश किए हैं। आज देश की जीडीपी में कृषि का 12 फीसदी हिस्सा है और आजादी के समय यह 50 फीसदी था। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से कहा कि यह बिल आपने तैयार नहीं किया है क्योंकि आप खुद किसान है और ऐसा बिल आप नहीं बना सकते हैं।

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