नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की 5000 नर्स वेतन बढ़ोत्तरी की मांग समेत दूसरे मांगों को लेकर सोमवार से हड़ताल पर हैं। हड़ताल पर गई नर्सों को AIIMS प्रशासन ने आगाह किया है कि अगर ड्यूटी रोस्टर में मौजूद नर्स अपनी ड्यूटी पर नहीं आती हैं तो उन्हें अनुपस्थित मार्क किया जाएगा। बता दें कि एम्स प्रशासन ने नर्सों की कमी को पूरा करने के लिए 170 नर्सों को आउटसोर्स किया है, यानी कि बाहर से 170 नर्स मंगाए हैं। ये नर्स एम्स में रोगियों की सेवा करेंगे।
Delhi: AIIMS administration issues letter to the protesting nursing staff stating, "It may be ensured that attendance of all the Nursing personnel who report for duty is mandatorily recorded and those absent, to be marked as such." pic.twitter.com/1ldY0dNqWq
— ANI (@ANI) December 15, 2020
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एम्स प्रशासन ने प्रदर्शनकारी नर्सों को पत्र जारी करते हुए लिखा है कि, वह नर्सिंग स्टाफ जो ड्यूटी पर आते हैं उन्हें अटेंडेंस लगाना जरूरी है और जो अनुपस्थित हैं जिनका अटेंडेंस नहीं होगा। उन्हें अनुपस्थित माना जाएगा।
लंबे समय से कोरोना संक्रमितों के इलाज में जुटे दिल्ली एम्स के नर्सिंग कर्मचारियों की हड़ताल दूसरे दिन मंगलवार को भी जारी है। कर्मचारियों ने कोरोना काल में हड़ताल व मरीजों की सेवा नहीं करने पर दुख जताने के साथ खुद को इस कदम के लिए मजबूर बताया है। दोपहर बाद कर्मचारियों ने हड़ताल की घोषणा कर दी, जो आज भी जारी है। नर्सिंग यूनियन का आरोप है कि एम्स प्रबंधन और सरकार उनकी मांगों को नहीं सुन रही है। अगर अभी भी उनकी मांगों पर संज्ञान नहीं लिया गया तो 16 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे।
Our Union is ready for talks with the administration. We are feeling bad for patients but we're helpless as our demands haven't been met. We had given notice for strike a month ago but even then the administration didn't listen to our demands: President, AIIMS Nurses Union, Delhi https://t.co/aEjKJO4VWV pic.twitter.com/LpT06KjPLN
— ANI (@ANI) December 15, 2020
हड़ताल कर रहे एम्स के नर्सिंग यूनियन के समर्थन में दिल्ली नर्सिंग संघ सामने आया है। दिल्ली नर्सिंग संघ ने कहा कि पूरे देश में नर्सों की यही स्थिति है। 10 साल से नर्सों की हालत में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
एक नर्सिंग कर्मचारी ने बताया कि यूनियन प्रशासन से बातचीत के लिए तैयार है। हमें मरीजों के लिए बुरा लग रहा है, लेकिन हम मजबूर हैं क्योंकि हमारी मांगें पूरी नहीं की गई हैं। हमने हड़ताल का नोटिस एक महीने पहले ही दे दिया था, लेकिन फिर भी प्रशासन ने हमारी बात नहीं सुनी।
उधर हड़ताल की खबर ने पूरे एम्स में हड़कंप मचा दिया है। ओपीडी और आपातकालीन विभाग पर हड़ताल का ज्यादा असर नहीं पड़ा है, लेकिन अस्पतालों में भर्ती मरीजों के उपचार को लेकर दिक्कतें आना शुरू होंगी। इसी के चलते शाम को एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का वीडियो संदेश यूनियन तक पहुंचा। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि प्रबंधन और सरकार ने नर्सिंग यूनियन की सभी मांगों को स्वीकार लिया है, लेकिन एक मांग पर अभी तक सहमति नहीं है। कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने को लेकर इस मांग में छठवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर जोर दिया है जोकि फिलहाल संभव नहीं है। इस दिशा में प्रबंधन की ओर से काम किया जा रहा है लेकिन महामारी के बीच जहां हर कोई एक जंग लड़ रहा है। ऐसे में कर्मचारियों की हड़ताल से न सिर्फ एम्स की छवि धूमिल होगी, बल्कि मरीजों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
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नर्सिंग यूनियन के अध्यक्ष ने कही ये बात
एम्स नर्सिंग यूनियन के अध्यक्ष हरीश कुमार कहा कि लंबे समय से प्रबंधन के आगे अपनी मांगों को लेकर चर्चा चल रही है। एक महीने पहले ही यूनियन ने प्रबंधन को समय देते हुए कहा था कि अगर मांग पूरी नहीं हुई तो कर्मचारियों के पास अपना काम छोड़ने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं होगा। हरीश ने बताया कि एम्स हर कर्मचारी और डॉक्टर का संस्थान है। यहां आने वाले सभी मरीजों की जिम्मेदारी भी उनकी है। नर्सिंग यूनियन यह कतई नहीं चाहती है कि मरीजों के उपचार में किसी प्रकार की बाधा आए, लेकिन प्रबंधन को यह भी सोचना चाहिए कि कर्मचारियों की मांग पर ध्यान नहीं दिया जाएगा तो वह कोरोना संकट में रात दिन कैसे अपना बेहतर योगदान कर सकेंगे।