नई दिल्ली: सरकारी एयरलाइन एअर इंडिया अब टाटा समूह के नियंत्रण में काम करेगी। बता दें मंत्रियों के एक पैनल ने कर्ज में डूबी सरकारी एअरलाइन एयर इंडिया के लिए टाटा संस की बोली की सिफारिश करने वाले प्रस्ताव को स्वीकार किया है। वहीं, एअर इंडिया की बिक्री प्रक्रिया में टाटा समूह ने सबसे अधिक कीमत की बोली लगाकर बिड जीती है।
विमानन कंपनी की 67 साल बाद घर वापसी
दरअसल, टाटा के साथ सरकार का सौदा होने से विमानन कंपनी की 67 साल बाद ‘घर वापसी’ होगी। और टाटा समूह ने अक्तूबर 1932 में टाटा एयरलाइंस के नाम से एयर इंडिया की शुरुआत की थी। आपको बता दें, वर्ष 1947 में देश की आजादी के बाद एक राष्ट्रीय एयरलाइंस की जरूरत महसूस हुई थी। ऐसे में भारत सरकार ने एयर इंडिया में 49 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण कर लिया
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कंपनी के 9500 से 10000 करोड़ रुपये के घाटे में रहने की आशंका
वहीं इसके बाद 1953 में भारत सरकार ने एयर कॉर्पोरेशन एक्ट पास किया। जिसके बाद टाटा समूह से इस कंपनी में बहुलांश हिस्सेदारी खरीद ली। गौरतलब है, 31 मार्च 2019 तक कंपनी पर 60074 करोड़ रुपये का कर्ज था। वहीं मार्च 2021 को समाप्त तिमाही में कंपनी के 9500 से 10000 करोड़ रुपये के घाटे में रहने की आशंका है। और करीब 23,286.5 करोड़ रुपये एयर इंडिया खरीदने वाली कंपनी को ही चुकाने होंगे। जिसके बाद शेष कर्ज को विशेष उद्देश्य के लिए बनाए गए एयर इंडिया एसेट होल्डिंग्स लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
डील में हेड ऑफिस और एयरलाइंस हाउस शामिल
जानकारी के मुताबिक, डील के तहत एयर इंडिया का मुंबई में स्थित हेड ऑफिस और दिल्ली का एयरलाइंस हाउस भी शामिल है। बता दें, मुंबई के ऑफिस का बाजार मूल्य 1,500 करोड़ रुपये से ज्यादा का है। वहीं एयर इंडिया मौजूदा समय में 4400 घरेलू उड़ानें और विदेशों में 1800 लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट को कंट्रोल करती है।