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अखिलेश-शिवपाल के गठबंधन पर लगा ग्रहण, चाचा की शर्तों ने बढ़ाई मुश्किलें

Shivpal Yadav

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‘धरती पुत्र’ सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन भी चाचा शिवपाल यादव और भतीजे अखिलेश यादव के बीच सियासी दूरियां खत्म नहीं कर पाया। शिवपाल यादव ने सपा से गठबंधन को लेकर ऐसी शर्त और सीटों की डिमांड रख दी है, जिसे अखिलेश यादव के लिए स्वीकार करना आसान नहीं है। ऐसे में सपा और प्रसपा के बीच गठबंधन या विलय की सारी उम्मीदें और गुंजाइश खत्म होती दिख रही हैं?

अखिलेश यादव सत्ता में वापसी के लिए हर संभव कोशिश में जुटे हैं। ऐसे में पिछले कुछ दिनों से अखिलेश के सुरों में चाचा शिवपाल को लेकर नरमी आ गई थी। उन्होंने कई बार सार्वजनिक मंच से कहा भी है कि चाचा का पूरा सम्मान होगा, राजनीतिक लड़ाई में चाचा हमारे साथ होंगे। इतना ही नहीं अखिलेश शिवपाल के करीबी और मजबूत नेताओं को भी एडजस्ट करने का आश्वासन दे रहे थे।

वहीं, शिवपाल यादव भी सपा के साथ गठबंधन से आगे बढ़कर विलय तक की बात करने लगे थे। शिवपाल ने मुलायम के जन्मदिन पर सैफई के दंगल कार्यक्रम में अखिलेश से गठबंधन की शर्त में पहली बार सीटों को लेकर सार्वजनिक रूप से पहली बार 100 सीटों की डिमांड की है।

शिवपाल यादव ने कहा कि गठबंधन पर उनकी बात अखिलेश यादव से हुई है और हमने अपनी पार्टी नहीं, बल्कि दूसरी पार्टियों की तरफ से भी 100 सीटें मांगी थीं। इसमें दूसरे दलों और पुराने समाजवादी जमीनी नेताओं को टिकट देना था, लेकिन कोई जवाब अखिलेश यादव की तरफ से नहीं आया।

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने कहा सिर्फ गठबंधन ही नहीं हम तो विलय तक को तैयार हैं, अगर हमारी बातें मान ली जाएं। वहीं, अखिलेश यादव अभी तक न तो शिवपाल को खास तवज्जो दे रहे हैं और न ही एक दर्जन से ज्यादा सीटें देने को राजी हैं। यही वजह है कि अखिलेश यादव व शिवपाल सिंह यादव फिलहाल एक मंच पर नहीं आए। दोनों ने अलग-अलग मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन मनाया।

दरअसल, सपा से गठबंधन या विलय की स्थिति में शिवपाल करीब 100 सीटें चाहते हैं, जिसके लिए अखिलेश यादव तैयार नहीं हैं। इसके अलावा शिवपाल अपने जिन करीबी नेताओं को टिकट के लिए पैरवी कर रहे हैं, उनमें ज्यादातर अखिलेश के विरोधी रहे हैं। ऐसे में इन दोनों ही शर्तों पर अखिलेश रजामंद नहीं हैं।

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वहीं, अखिलेख यादव खुद को मुलायम सिंह के सियासी वारिस के तौर पर स्थापित करने में सफल रहे हैं। सूबे में सपा के कोर वोटबैंक यादव और मुस्लिम में शिवपाल सेंधमारी नहीं कर सके जबकि अखिलेश यादव ने मजबूत पकड़ बनाई है। यही वजह है कि अखिलेश अब चाचा शिवपाल को बहुत ज्यादा अहमियत नहीं दे रहे हैं।

चाचा-भतीजे के बीच सियासी वर्चस्व की जंग के चलते ‘यादव परिवार’ के सदस्य भी अब शिवपाल यादव से दूरी बनाने लगे हैं। शिवपाल ने सपा से नाता तोड़कर अलग पार्टी बनाई तो मुलायम परिवार से कोई भी सदस्य उनके साथ नहीं आया।

मुलायम सिंह के जन्मदिन पर सैफाई में दंगल कार्यक्रम रखा, जिसमें परिवार के सदस्य पूर्व सांसद तेज प्रताप सिंह यादव व जिला पंचायत अध्यक्ष अंशुल यादव तक शामिल नहीं हुए। ऐसे में शिवपाल यादव की तरफ से सीटों की संख्या आना और शर्त का रखा जाना ये बताता है कि चाचा भतीजे का एक होना फिलहाल मुश्किल लग रहा है।

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