लखनऊ। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर गरीबों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार इस गफलत में है कि सब कुछ नियंत्रण में है।
श्री यादव ने शनिवार को बयान जारी कर कहा कि जबसे उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार बनी है, राज्य की प्रगति अवरूद्ध हो गई है। समाज के हर वर्ग में असंतोष है। जनता परेशान और बेहाल है। भाजपा सरकार में तो कोई सुनवाई नहीं होती है। अमेठी की दुःखी महिलाओं ने उसके गेट पर आत्महत्या के लिए आग लगा लिया। सरकार इस गफलत में है कि सब कुछ नियंत्रण में है, झूठी प्रशंसा में वह बहक रही है।
लोकभवन के सामने 2 महिलाओं द्वारा आत्मदाह की घटना, सोती हुई सरकार को जगाने के लिए क्या काफ़ी नहीं है या फिर असंवेदनशील सरकार व मुख्यमंत्री जी किसी और बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहे हैं.
क्या उप्र में सरकार नाम की कोई चीज़ है !
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 18, 2020
उन्हाेंने कहा कि मुख्यमंत्री सुबह से शाम तक मीटिंग या दौरे पर रहते है। उनकी टीम-इलेवन का काम केवल आंकड़ों की हेराफेरी से प्रशासन की अक्षमताओं पर पर्दा डालना ही रह गया है। समाजवादी सरकार में राजधानी लखनऊ में लोकभवन का निर्माण इसलिए हुआ था कि बिना भेदभाव वहां जनता की शिकायतों की सुनवाई हो सके।
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श्री यादव ने कहा कि सच्चाई तो यह है कि प्रदेश में कोई जिला ऐसा नहीं जहां रोज ही हत्या, लूट, बलात्कार और ठगी-छिनौती की घटनाएं न होती हो। जमीन सम्बंधी विवादों को लेकर झगड़े, मारपीट की गम्भीर वारदातें होती हैं। अस्पतालों में इतनी दुव्र्यवस्था है कि वे स्वयं बीमारी के घर बना दिए गए है वहां जाकर मरीज ठीक होने के बजाय उल्टे मरणासन्न हो जाता है। सरकार द्वारा कोरोना संकट के नियंत्रण में होने के जितने दावे किए जाते हैं उससे ज्यादा इसके संक्रमितों की संख्या सामने आती हैं। मरीज मारे-मारे फिर रहे है।
उन्हाेंने कहा कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राज्य में अस्पतालों की पर्याप्त संख्या नहीं हैं। समाजवादी सरकार के समय ही अस्पताल बने थे। भाजपा ने कोई इंतजाम नहीं किए। उसने न नए अस्पताल बनवाएं और नहीं चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार किया। जीवन रक्षक दवाएं अनुपलब्ध हैं, उनकी काला बाजारी हो रही है। लोग बेमौत मर रहे हैं। समाजवादी सरकार में रोगियों के लाभार्थ 108 और 102 एम्बूलेंस सेवाएं शुरू की गई थी वे निष्क्रिय बना दी गई है। भाजपा के हाथ ताली बजाने के लिए खाली है।
श्री यादव ने कहा कि सबसे दुःखद प्रसंग यह है कि विस्थापित श्रमिक बिना रोजगार के गांव-गांव भटक रहे हैं। वे हताशा में डूब गए हैं। सरकार हवाई दावों में रोजगार बांटने के झूठे आंकड़े पेश कर रही है, जमीन पर बुरा हाल है।