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अखिलेश यादव ने सैफई में किया ध्वजारोहण, सीएम योगी पर लगाया ये आरोप

Akhilesh Yadav

Akhilesh Yadav

इटावा। इटावा के सैफई पहुंचे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav)  ने ध्वजारोहण किया। उन्होंने देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी। साथ ही सरकार पर हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री के बयानों का जवाब भी दिया। उन्होंने कहा कि देश में मणिपुर जैसी डरावनी हिंसक घटनाएं दोबारा न हों, इसका हर देशवासी को संकल्प लेना पड़ेगा।

अखिलेश (Akhilesh Yadav)  ने कहा कि लाल किले से कही जाने वाली बातों में जो निर्णय हों वो मानवतावादी हों। हम लोगों ने हमेशा कहा है ‘हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, हम सब हैं भाई-भाई’। वहीं परिवारवाद के सवाल पर सीएम योगी पर हमला बोलेत हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का परिवारवाद देखना चाहिए। वो हमसे पहले परिवारवाद के उदाहरण बने हैं। हम लोग तो बाद में हैं। बीजेपी ने और उन्होंने खुद परिवारवाद अपनाया है।

‘किसी भी बेटी या महिला के साथ ऐसा व्यवहार न हो’

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि किसी भी देश में ऐसा नहीं हुआ होगा, जो मणिपुर में हुआ है। हम लोगों को अपील भी करनी चाहिए कि मणिपुर के लोग जिस प्रेम और सद्भावना के साथ मिल-जुलकर रह रहे थे, वैसे ही रहें। इस तरह की घटना दोबारा न हो। न केवल मणिपुर बल्कि देश के किसी भी कोने में किसी भी बेटी या महिला के साथ इस तरीके का व्यवहार न हो।

‘किसान, गरीब, नौजवान और सुरक्षा पर विचार करें’

अखिलेश (Akhilesh Yadav) ने कहा कि दुनिया में हमारे देश की सबसे ज्यादा आबादी है। नौजवानों की संख्या भी बढ़ी है। हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि किसान कैसे खुशहाल हो। हर नौजवान के हाथ में कैसे नौकरी और रोजगार हो। पढ़ाई और शिक्षा का स्तर कैसे बेहतर हो। गरीबों को स्वास्थ्य सेवाएं कैसे मिलें। साथ ही सुरक्षा की भावना कैसे पैदा हो, इस पर विचार करना चाहिए।

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सपा प्रमुख ने कहा कि हमें अपने देश की यूनिटी और डायवर्सिटी को लेकर चलना होगा। दुनियां बहुत आगे बढ़ी है, जिस रूप में हमारा देश आजाद हुआ था, जो हमारी सीमाएं थीं वो सिकुड़ी हैं। हमारा देश कैसे मजबूत हो और सीमाएं सुरक्षित हों, इस पर विचार करना चाहिए।

‘म भ्रष्टाचार के मामले में कहां खड़े हैं?’

अर्थव्यवस्था के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि भारत की इतनी आबादी है, लोगों की आगे बढ़ने की इच्छा है, सरकार अपना योगदान कम भी दे, उसके बावजूद भी यहां की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ती है। समस्याओं को देखते हुए लोकतंत्र में जो स्वतंत्रता होती है, उसमें हम कहां खड़े हैं? प्रेस की आजादी में हम कहां खड़े हैं? हम भ्रष्टाचार के मामले में कहां खड़े हैं? इन बातों पर भी विचार करना चाहिए।

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