लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को बीजेपी सरकार पर अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा शासन में लोकतंत्र पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
श्री यादव ने कहा कि भाजपा राज में शान्तिपूर्ण अहिसंक विरोध पर बर्बर लाठीचार्ज, न्याय के लिए आवाज उठाते युवाओं की गिरफ्तारी और अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलने की भाजपा सरकार का कृत्य अमानवीय और अलोकतांत्रिक हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट आई है। क्रयशक्ति घटने से बाजार में मंदी है। किसान, नौजवान आत्महत्या कर रहे हैं। लोगों की नौकरियां छूट गई है। आने वाले दिन और संकट के हो सकते हैं। पूरी व्यवस्था चरमरा गई है।
श्री यादव ने कहा कि प्रदेश में अराजकता के हालात हैं। लूट, हत्या, अपहरण और बलात्कार की घटनाएं थम नहीं रही है। अपराधियों को कानून का खौफ नहीं है। भाजपा सरकार ‘एक जिला, एक उत्पाद‘ को बढ़ावा देने की बात कहती है लेकिन हकीकत में ‘हर जिला, जमकर अपराध‘ का उसने नया माॅडल लांच कर दिया है।
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उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार का शिक्षा, शिक्षकों और शिक्षार्थियों के प्रति दृष्टिकोण मानवीयता से रहित है। जेईई और नीट की परीक्षाएं विरोध के बावजूद करने पर आमादा भाजपा सरकार को बताना चाहिए कि इस परीक्षा के बाद किस तारीख से शिक्षण संस्थाएं खुलेंगी। कब चयन प्रक्रिया पूरी होगी, कब से कक्षाएं शुरू होंगी। उन्होंने राजभवन पर पार्टी के युवा संगठनों के प्रदर्शन पर पुलिस लाठीचार्ज की निंदा की।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि समाजवादी पार्टी में किसी भी गलत आदमी के लिए कोई स्थान नहीं हो सकता है, पार्टी में निष्ठावान कार्यकर्ता को अवसर और सम्मान मिलेगा। युवाओं का आव्हान किया कि वे वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए बाइस में बाइसिकल का लक्ष्य बनाकर अभी से बूथस्तर तक मजबूती से समाजवादी सरकार की उपलब्धियों को पहुंचाएं। उन्होंने समाजवादी पार्टी का आव्हान तथा अगस्त क्रान्ति की समाजवादी दिशा पत्रकों को घर-घर तक प्रचारित करने को भी कहा।
श्री यादव ने कहा कि पूर्व मंत्री एवं सांसद मोहम्मद आज़म खां की सम्पत्ति और मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के प्रति जो रवैया अपनाया जा रहा है। वह द्वेषपूर्ण राजनीति को उजागर करता है। प्रदेश में जनता बेहाल है उसकी मुख्य समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जा रही है। चुन-चुनकर बहुत पहले से निर्मित इमारतों को ध्वस्त किया गया है। भाजपा समझती है कि कुछ मकानों-इमारतों को गिराने से जनसमस्याओं का समाधान हो जाएगा, यह भाजपा की ऐसी भूल है जो उसे बहुत मंहगी पड़ेगी।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के अन्याय के कारण युवाओं के सामने संकट की स्थिति पैदा हुई है। युवा पीढ़ी के लिए रोजगार नहीं है, शिक्षा संस्थानों में पढ़ाई बंद है, कोरोना की वजह से आर्थिक तंगी भी है। नीट, जेईई के मुद्दों पर भाजपा के अड़ियल रवैये से परीक्षार्थी सदमे में हैं। भाजपा सरकार को कोई चिंता नहीं है। चाहे युवा पीढ़ी को कितनी ही कीमत चुकानी पड़े। नौजवानों को भाजपा अपने विरोधी के रूप में देखती है और उसकी आवाज को कुचलने को आमादा है।