‘अक्षय’ का अर्थ है जिसका कभी क्षय न हो अथवा जो सदा स्थायी रहे। अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) तिथि अक्षय, अखंड और सर्वव्यापक है। चारों युगों में त्रेतायुग का आरंभ इसी तिथि को हुआ था। अक्षय तृतीया को स्वर्ण आभूषण खरीदने की परंपरा है। अक्षय तृतीया 10 मई शुक्रवार को है। इसी दिन पूरे देश में भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाती है।
उन्होंने कहा कि अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) को ईश्वर तिथि भी कहा जाता है। इसी तिथि को भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। इस कारण इसका नाम परशुराम तिथि भी पड़ा। 10 मई से ही चारों धामों में से एक धाम बद्रीनारायण के पट खुलेंगे। वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया रोहिणी नक्षत्र से युक्त है, जिससे दुर्लभ संयोग बन रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोने-चांदी की चीजों की खरीदारी से व्यक्ति के जीवन में खुशियां और सुख शांति बनी रहती है।
सुबह से ही विशेष मुहूर्त
ज्योतिष अन्वेषक अमित गुप्ता के अनुसार सुबह से शुभ मुहूर्त शुरू होगा। दान–जप, यज्ञ व खरीदारी के लिए विशेष मुहूर्त लाभामृत योग प्रात: 07:14 से प्रातः 10:36 तक, अभिजित मुहूर्त प्रातः 11:50 से 12:44 तक, शुभ योग दोपहर 12:17 से अपरान्ह 1:58 तक है।
रात्रि 9:30 से 11 बजे (लाभ चौघड़िया)। इसके अलावा 10 मई अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) को सुबह 10:30 से 12 बजे के बीच राहुकाल रहेगा, जिसमें खरीदारी ना करें। इस बार अक्षय तृतीया सौ साल बाद गजकेसरी योग के साथ आ रही है, जो कि बहुत शुभ है।
अक्षय तृतीया पर दान के समय जल से भरा कलश, पंखे, खड़ाऊं, छाता, चावल, नमक, घी, चीनी, फल, वस्त्र ब्राह्मण को दक्षिणा का दान विशेष पुण्यकारी माना जाता है।
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) होगी महाचतुर्योगी
ज्योतिषचार्य भारत ज्ञान भूषण के अनुसार अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) महाचतुर्योगी है। गजकेसरी योग, सुकर्मा योग, मित्र योग, अतिगंड योग आदि चतुर्महायोगों में प्रारम्भ हो रही है। इस दिन मातंगी जयंती व परशुराम जयंती भी है। जो लोग सोना न खरीद पाएं वह चांदी या पीतल, हल्दी, केसर, पीला कपड़ा आदि भी ले सकते हैं।