हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) पर्व को बहुत शुभ माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। एक धार्मिक मान्यता ये भी है कि अक्षय तृतीया तिथि पर ही त्रेता युग और सतयुग की शुरुआत हुई थी। यही कारण है कि कृत युगादि तृतीया भी कहा जाता है।
कब मनाई जाती है अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya)
हिंदू पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) पर्व हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, इस तिथि को अक्षय तृतीया इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन तिथि को किए गए पुण्य कर्मों का कभी नाश नहीं होता है। साथ ही मांगलिक कार्य करने के लिए किसी शुभ मुहूर्त की भी जरूरत नहीं होती है। अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) पर दान-पुण्य, पूजा-पाठ, जप-तप और शुभ कर्म करने पर मिलने वाला फलों में कमी नहीं होती है।
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) पर पूजा का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) इस साल 10 मई, शुक्रवार को मनाई जाएगी। तृतीया तिथि की शुरुआत 10 मई को सुबह 4.17 बजे होगी और इस तिथि का समापन 11 मई 2024 को सुबह 02.50 बजे होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 10 मई को ही अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाना उचित होगा। इस दिन देवी लक्ष्मी और जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5.48 बजे से लेकर दोपहर 12.23 बजे तक रहेगा।
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) का महत्व
हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक, अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) तिथि को स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त बताया गया है। इस दिन मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, सोने-चांदी के आभूषण खरीदने के साथ घर, भूखंड या वाहन आदि खरीदना शुभ होता है।