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एकेटीयू ने स्कोपस में प्रकाशित किये 1288 शोध पत्र

यूपीजेईई-2021

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लखनऊ। किसी भी विश्वविद्यालय में शिक्षा की गुणवत्ता के स्तर का अंदाजा उसके शिक्षकों व विद्यार्थियों के तरफ से किये जा रहे शोध व नवाचारों के कार्यों से लगाया जा सकता है। साथ ही उस विवि में हो रहे शोध कार्यों की गुणवत्ता के स्तर का अंदाजा प्रकाशित हो रहे शोध पत्रों के जर्नल्स पर निर्भर करता है। पूरी दुनिया में स्कोपस, एससीआई व आईईईई जर्नल्स को गुणवत्तापूर्ण शोध प्रकाशन के लिए जाना जाता है।

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डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के शिक्षकों व शोधार्थियों की शोध अभिरुचि विगत कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है। इसका परिमाण है कि विवि के तरफ से गुणवत्तापूर्ण स्कोपस जर्नलों में शोध प्रकाशन के प्रतिशत में तीन सौ प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है। वर्ष 2015 में विवि के शिक्षकों ने लगभग 392 शोध पत्र स्कोपस जर्नल्स में प्रकाशित किये गये थे। जबकि वर्ष 2020 में विवि में लगभग 1288 शोध पत्रों का प्रकाशन स्कोपस जर्नल्स में किया गया है। यदि बात विगत पांच वर्षों में विवि के शिक्षकों व शोधार्थियों द्वारा स्कोपस जर्नल्स में प्रकाशित किये गये शोध पत्रों की करें तो वर्ष 2015 में 392, 2016 में 540, 2017 में 460, 2018 में 685, 2019 में 1151 तथा 2020 में 1288 शोध पत्र प्रकाशित किये गये हैं।

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विवि के डीन पीजीएसआर प्रो. एमके दत्ता ने बताया कि विवि के शिक्षकों व शोधार्थियों की शोध अभिरुचि को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाओं का सफल संचालन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि गुणवत्तापूर्ण शोध कार्यों के लिए संसाधन एवं अनुदान दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने बताया विवि के कुलपति प्रो. वीके पाठक ने विगत पांच वर्षों में शोध व नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाओं की शुरुआत की है। इसमें विश्वस्वरैया रिसर्च प्रोमोशन स्कीम, होमी भाभा टीचिंग असिस्टेंसशिप स्कीम, सेमिनार ग्रांट, ट्रेवेल ग्रांट व पं. दीन दयाल उपाध्याय गुणवत्ता सुधार योजना जैसी अनुदान योजनाएं शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इन योजनाओं के संचालन से संसाधन एवं अनुदान दोनों ही क्षेत्रों में कार्य हुआ है। इसी का परिमाण है कि गुणवत्तापरक शोध कार्यों में तेजी से बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है।

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