केरल में जीका वायरस से पीड़ित मरीज मिलने के बाद प्रदेश में भी अलर्ट कर दिया गया है। केरल सहित उससे जुड़े राज्यों से आने वालों पर विशेष निगाह रखी जाएगी। लक्षण दिखते ही तत्काल जांच कराई जाएगी। स्वास्थ्य महानिदेशालय ने जीका वायरस के लक्षण बताते हुए सभी अस्पतालों में सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
यह भी कहा गया है कि दस्तक अभियान के दौरान लोगों को विशेष साफ सफाई बरतने के बारे में जानकारी दी जाए। डेंगू, मलेरिया, इंसेफेलाइटिस के साथ जीका वायरस के लक्षण के बारे में भी जानकारी दी जाए। स्वास्थ्य महानिदेशक डा. डीएस नेगी ने बताया कि अस्पतालों को अलर्ट कर दिया गया है। केरल से आने वालों में किसी तरह का लक्षण दिखेगा तो जांच कराई जाएगी। इसी तरह केजीएमयू, एसजीपीजीआई और लोहिया संस्थान में गंभीर मरीजों को भर्ती करने की योजना बना ली गई है। जरूरत पड़ने पर यहां मरीजों को भर्ती किया जा सकेगा। हालांकि अभी तक राज्य में कोई मरीज नहीं मिला है।
जलभराव और तराई वाले इलाके में विशेष सावधानी
जीका वायरस का खतरा जलभराव और तराई वाले इलाके में ज्यादा रहता है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि घर के आसपास जलभराव खत्म करने और साफ सफाई रखकर इससे बचा जा सकता है। जीका वायरस के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं है। जीका फ्लेविवाइरिडे फैमिली का वायरस है। यह यलो फीवर, इंसेफेलाइटिस, डेंगू फैलाने वाले एडीज प्रजाति के मच्छरों के काटने से फैलता है। इसी तरह जीका से प्रभावित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने पर दूसरे व्यक्ति में भी खतरा हो सकता है। गर्भवती महिला से उसके भ्रूण को भी खतरा रहता है।
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केजीएमयू के चिकित्सा अधीक्षक डा. डी हिमांशु ने बताया कि जीका वायरस से पीड़ित की जांच और इलाज की व्यवस्था यूनिवर्सिटी में कर ली गई है। यह गर्भवती महिलाओं के जीका वायरस से संक्त्रस्मित होने पर यह वायरस उनके गर्भस्थ शिशु में चला जाता है। इससे शिशु गर्भ में ही माइक्रोोसेफली की चपेट में आ जाता है। उसमें जन्मजात विकार आ जाते हैं। इसके तहत बच्चे का सिर दूसरे बच्चों से छोटा होना, मंद बुद्धि होना आदि शामिल है।
क्या है लक्षण
जीका वायरस से संक्त्रस्मित बहुत से लोगों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। कुछ लोगों को बेहद हल्के लक्षण होते हैं। इसमें बुखार के साथ सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोडों में दर्द, आंखों में लालिमा, शरीर पर चकत्ते पड़ना शामिल है। इसके लक्षण दो से सात दिनों तक बने रहते हैं। हालांकि इससे मृत्यु की आशंका कम रहती है।
क्या है बचाव का तरीका
– मच्छर से बचने के लिए मच्छरदानी लगाएं, पूरी बांह के कपड़े पहनें, खिड़की – दरवाजे पर जाली लगवाएं।
– घर के गमलों की सफाई रखें, जलभराव ना होने दें।
– गर्भवती महिलाएं जलभराव और गंदी जगह कत्तई ना जाएं।
– जिन राज्यों में जीका के मरीज मिल रहे हैं, वहां जाने से बचें।
– किसी से भी असुरक्षित शारीरिक संबंध न बनाएं।