उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डॉ. महेन्द्र सिंह ने बाढ़ प्रभावित जनपदों की 366 नवीन परियोजनाओं का गहन परीक्षण करके पूरी पारदर्शिता के साथ तैयार किये जाने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि बाढ़ परियोजनाओं को तैयार करते समय सम्बंधित जनपदों के जिलाधिकारियों एवं जन-प्रतिनिधियों से भी व्यापक विचार-विमर्श सुनिश्चित किया जाय।
उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि परियोजनाओं को तैयार करते समय यह भी ध्यान रखा जाय कि परियोजनाओं का आंकलन सटीक हो और उनमें किसी तरह की कटौती अथवा कांट-छांट की गुंजाइश न रहे।
जलशक्ति मंत्री आज यहां सिंचाई विभाग के मुख्यालय सदर में बाढ़ नियंत्रण की नवीन परियोजनाओं के गठन एवं बाढ़ कार्यों की क्षेत्रीय अधिकारियों के साथ समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि परियोजनाएं बनाते समय इस बात पर विशेष ध्यान रखा जाय कि कम से कम धनराशि में अधिक से अधिक प्रकरणों को शामिल किया जाय। उन्होंने इस वर्ष अतिवृष्टि के बावजूद भी प्रदेश में तटबंधों को सुरक्षित रखने के लिए सम्बंधित अधिकारियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि तटबंधों की सतत निगरानी, नई तकनीक का प्रयोग, सीसीटीवी की स्थापना एवं उसके माध्यम से लगातार अनुश्रवण करने के कारण ही इस वर्ष भी जन-धन की हानि नहीं हुई।
प्राविधिक शिक्षा मंत्री जितिन प्रसाद कल एकेटीयू में रोबोटिक्स लैब का करेंगे लोकार्पण
डॉ महेन्द्र सिंह ने कहा कि 254 निर्माणाधीन बाढ़ परियोजनाओं को युद्धस्तर पर कार्य कराकर पूरा कराया जाय ताकि इसका लोकार्पण करके प्रदेश की जनता को समर्पित किया जा सके। उन्होंने क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि जिनके-जिनके क्षेत्र में बाढ़ सम्बंधित परियोजनाएं निर्माणाधीन है, उसको विशेष ध्यान देकर पूरा कराएं। इसके साथ ही निर्माणाधीन कार्यों की प्रगति के सम्बंध में आंकड़े त्रुटिरहित एवं पारदर्शिता के साथ प्रस्तुत करें। उन्होंने पुल-पुलियों की शत-प्रतिशत रंगाई-पुताई, नहरों को मौलिक स्वरूप में बनाये रखने, निकाली गयी शिल्ट का नियमानुसार निस्तारण तथा टेल तक पानी पहुंचाने के लिए हर संभव कदम उठाने के निर्देश दिये। उन्होंने जेई/एई को यह भी निर्देश दिये हैं कि वे प्रत्येक नहर को गोद लेकर उसकी साफ-सफाई कराकर नहरों का स्वरूप बनाये रखें।
जलशक्ति मंत्री ने कहा कि प्रत्येक जनपद में एक से दो बड़े नाले हैं। जिनके माध्यम से शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों का पानी निकलता है। इनमें कुछ बहुत पुराने हैं। इसके अलावा कुछ नाले विलुप्त हो गये हैं। इन नालों को सुधार कर पुनर्जीवित करें एवं जल प्लावन की समस्या का समाधान सुनिश्चित करें। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये कि एक बार सभी नालों का विधिवत सर्वेक्षण सुनिश्चित कर लिया जाय तथा पुराने नालों/डेन्स का रिकार्ड दुरूस्तीकरण कराया जाय। उन्होंने यह भी कहा कि इन सभी नालों का रिकार्ड रखा जाय एवं अभिलेखीकरण के साथ ही डिजिटल रिकार्ड भी बनवाया जाय ताकि सफाई के बाद इनका अनुश्रवण किये जाने में सुविधा हो। उन्होंने यह भी कहा कि बड़े नाले शहरों से गांवों की ओर भी निकलते हैं, यदि उनको सुधार दिया जाय तो विभाग की छवि और बेहतर बनेगी। उन्होंने लखनऊ के किला मोहम्मदी नाले पर किये गये अतिक्रमण को हटाये जाने के लिए सम्बंधित अधिकारियों को एक बार समीक्षा किये जाने के भी निर्देश दिये।
पिछले साढ़े चार साल में प्रदेश में शिक्षा का स्तर बढ़ा है : डॉ दिनेश शर्मा
डॉ महेन्द्र सिंह ने बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिये कि आगामी मानसून से पहले बाढ़ के प्रति संवेदनशील जनपदों से सम्बंधित सभी तैयारियां समय से पूरी कर ली जाय। उन्होंने कहा कि उप्र में बाढ़ नियंत्रण एवं बचाव की तैयारियों के चलते इस वर्ष कम समय में भारी वर्षा के बावजूद भी बाढ़ की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा। उन्होंने कहा कि 28 जनपदों में दो दिन के अंदर सामान्य से अधिक वर्षा रिकार्ड की गयी एवं कुछ जनपदों में 500 मीमी से ज्यादा बरसात हुई किन्तु मुख्यमंत्री द्वारा इस वर्ष जनवरी के महीने में ही बाढ़ कार्यों के लिए धनराशि स्वीकृत कर दिया था। जिसकेे कारण ही बाढ़ की तैयारियां मार्च में ही शुरू कर दी गयी थी, जिसके कारण बाढ़ का प्रभाव उ0प्र0 में कम से कम हुआ जबकि कई बड़ी नदियां खतरे के निशान से लगातार ऊपर बहती रहीं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में वे स्वयं भी बाढ़ के दौरान सघन निरीक्षण करते रहे।
अपर मुख्य सचिव सिंचाई एवं जल संसाधन टी. वेंकटेश ने बैठक में मंत्री द्वारा दिये गये निर्देशों का शत-प्रतिशत अनुपालन निर्धारित समय में किये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि समय से बाढ़ परियोजनाओं के पूरा होने से आम जनता को राहत मिली और बाढ़ की त्रासदी नहीं झेलनी पड़ी। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में 254 बाढ़ परियोजनाएं संचालित हैं जिनमें से 149 बाढ़ परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। परियोजनाओं के कार्यों की प्रदेश की जनता एवं जन-प्रतिनिधियों ने भी सराहना की है। उन्होंने यह भी बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में 4641 नालों की 22427 किमी0 लम्बाई में सफाई करायी जा रही है।
इस बैठक में प्रमुख सचिव सिंचाई अनिल गर्ग, विशेष सचिव सिंचाई अनीता वर्मा सिंह, प्रमुख अभियंता एवं विभागाध्यक्ष वीके निरंजन, विशेष सचिव सिंचाई मुश्ताक अहमद, प्रमुख अभियंता (परिकल्प एवं नियोजन) एके सिंह, प्रमुख अभियंता (यांत्रिक) देवेन्द्र अग्रवाल के अलावा डीके मिश्रा, मुख्य अभियंता शारदा खण्ड एके सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।