लखनऊ। बीएसपी विधायक राजू पाल हत्याकांड (Raju Pal Murder Case) में लखनऊ की सीबीआई कोर्ट ने सभी सात आरोपियों को दोषी करार दिया है। पुलिस हिरासत में मारे गए अतीक अहमद और अशरफ भी राजू पाल हत्याकांड में नामजद थे। अब जिंदा बचे सभी 7 आरोपी आबिद, फरहान, जावेद, अब्दुल कवी, गुल हसन, इसरार और रंजीत पाल को दोषी करार दिया गया है।
गोलियों से भूनकर की गई राजू पाल (Raju Pal) की हत्या
लखनऊ की सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने राजू पाल हत्याकांड (Raju Pal Murder Case) में सभी आरोपियों को दोषी करार दिया है। कोर्ट थोड़ी देर में सजा का ऐलान करेगी। 19 साल पहले 25 जनवरी 2005 को तत्कालीन बीएसपी विधायक राजू पाल की प्रयागराज के धूमनगंज में गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी।
विधानसभा चुनाव में माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ को हराने के चलते राजू पाल की राजनीतिक दुश्मनी के चलते हत्या की गई थी। अतीक अहमद और अशरफ ने गुर्गों के साथ मिलकर प्रयागराज में दिनदहाड़े गोली मारकर राजू पाल की हत्या कर दी थी।
कैसे हुई थी राजू पाल (Raju Pal) की हत्या?
साल 2004 में राजू पाल (Raju Pal) बीएसपी के टिकट से विधायक चुने गए थे। उस चुनाव में समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी और अतीक अहमद का भाई अशरफ हार गया था। नतीजों के 3 महीने के अंदर ही 25 जनवरी 2005 को अतीक गैंग ने राजू पाल पर हमला कर दिया।
25 जनवरी को विधायक राजू पाल एसआरएन हॉस्पिटल से निकले थे। उनके काफिले में एक क्वालिस और एक स्कॉर्पियो कार थी। क्वालिस कार खुद राजू पाल चला रहे थे और उनके साथ की सीट पर रुखसाना बैठी थी।
जैसे ही राजू पाल (Raju Pal) जीटी रोड पर पहुंचे एक स्कॉर्पियो कार ने उन्हें ओवरटेक किया और तब तक राजू पाल के सीने में एक गोली लग चुकी थी। स्कॉर्पियो से 5 हमलावर उतरे और राजू पाल पर धुआंधार गोलियां बरसा दीं। हमले में रुखसाना जख्मी हो गई, संदीप यादव और देवीलाल की मौत हो गई। राजू पाल को 19 गोलियां मारी गई थीं। इसी राजू पाल हत्याकांड में उमेश पाल चश्मदीद गवाह थे, जो राजू पाल के रिश्तेदार भी थे।