नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड (Rajiv Gandhi Assassination Case) में रिहा किए गए तीनों दोषी बुधवार को श्रीलंका लौट गए हैं। राजीव गांधी की हत्या के छह दोषियों को 2022 में रिहा कर दिया था। इनमें से तीन मुरुगन उर्फ श्रीहरन, जयकुमार और रॉबर्ट पायस श्रीलंका लौट गए हैं। ये श्रीलंका के रहने वाले थे।
दो साल पहले रिहाई के बाद इन्हें तिरुचिरापल्ली के स्पेशल कैंप में रखा गया था। वे बीती रात ही यहां पहुंचे थे और कोलंबो के लिए रवाना हो गए थे। तमिलनाडु सरकार ने इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट को बताया था कि फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस (एफआरआरओ) से डिपोर्टेशन के आदेश मिलने के बाद वे श्रीलंका लौट सकते हैं।
वहीं, श्रीलंका उच्चायोग ने इन तीनों की वतन वापसी के लिए ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स जारी किए थे। बता दें कि राजीव गांधी हत्या (Rajiv Gandhi Assassination Case) मामले में एक अन्य श्रीलंकाई नागरिक संथन की मौत हो गई थी। इसके अलावा जिन अन्य लोगों को राजीव गांधी हत्या मामले में रिहा किया गया था। वे पेरारिवलन, रविचंद्रन और नलिनी हैं। ये सभी भारतीय नागरिक हैं।
कैसे हुई थी पूर्व PM की हत्या?
21 मई 1991 को एक चुनावी रैली के दौरान तमिलनाडु में एक आत्मघाती हमले में राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की हत्या कर दी गई थी। उन्हें एक महिला ने माला पहनाई थी, इसके बाद धमाका हो गया। इस हादसे में 18 लोगों की मौत हुई थी।
इस मामले में कुल 41 लोगों को आरोपी बनाया गया था। 12 लोगों की मौत हो चुकी थी और तीन फरार हो गए थे। बाकी 26 पकड़े गए थे। इसमें श्रीलंकाई और भारतीय नागरिक थे। फरार आरोपियों में प्रभाकरण, पोट्टू ओम्मान और अकीला थे।
आरोपियों पर टाडा कानून के तहत कार्रवाई की गई। सात साल तक चली कानूनी कार्यवाही के बाद 28 जनवरी 1998 को टाडा कोर्ट ने हजार पन्नों का फैसला सुनाया। इसमें सभी 26 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई।
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ये फैसला टाडा कोर्ट का था, इसलिए इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। टाडा कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती थी। एक साल बाद सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस पूरे फैसले को ही पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 26 में से 19 दोषियों को रिहा कर दिया। सिर्फ 7 दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा गया था। बाद में इसे बदलकर उम्रकैद किया गया।