इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी द्वारा दाखिल व्यक्तिगत हलफनामे को ‘मिसलीड’ (भ्रमित करने वाला मानते हुए उन्हें व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में तलब किया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने सुपारी और तंबाकू के एक व्यापारी की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव (गृह) के अलावा एसपी जालौन रवि कुमार और पुलिस उप निरीक्षक नदी गांव केदार सिंह को भी हाजिर होने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ प्रतिकूल आदेश पारित किया जाए और भारी हर्जाना लगाया जाए?
कोर्ट ने कहा कि हलफनामे में यह नहीं बताया कि सामान्य तौर पर व्यावसायिक माल के आवागमन में किस प्राधिकार से हस्तक्षेप कर सकते हैं। यह भी नहीं बताया गया कि क्या कोई संज्ञेय अपराध हुआ है? हलफनामे में यह भी नहीं बताया कि किस अधिकार से माल को लेकर अधिकारियों द्वारा एफआईआर दर्ज कराई गई है। कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव गृह से व्यापार नीति पेश करने को कहा है। याचिका की सुनवाई 25अगस्त बुधवार को होगी।
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कोर्ट ने कहा कि 13 अगस्त व 18 अगस्त 2021 को विस्तृत आदेश दिया गया था. इसके बावजूद अधिकारियों के असंवैधानिक, मनमाने व अवैध कार्यवाई को संरक्षण देने के रवैए में बदलाव नहीं आया है। कोर्ट ने कहा इन अधिकारियों को तलब करने के अलावा कोर्ट के पास अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है। जिस पर अधिकारियों को तलब किया गया है।
गौरतलब है कि पीठ ने इससे पहले 13 अगस्त को व्यापारी की याचिका पर एसपी और एसआई से जवाब मांगा था, लेकिन उनके जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर पीठ ने 18 अगस्त को अवस्थी को 24 अगस्त तक मामले में अपना हलफनामा दाखिल करने को कहा था, लेकिन निर्धारित समय सीमा से एक दिन पहले यानी 23 अगस्त को दायर किए गए अवस्थी के हलफनामे से असंतुष्ट पीठ ने उन्हें एसपी और एसआई के साथ अदालत में तलब किया। साथ ही उनसे यह बताने के लिए कहा कि भ्रामक हलफनामा दाखिल करने के लिए उनकी क्यों न निंदा की जाये और उनपर जुर्माना लगाया जाये।
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अदालत ने अवस्थी को राज्य में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के बारे में वास्तविक तथ्य अपने सामने पेश करने को भी कहा। 13 अगस्त को पहले एसआई के हलफनामे को खारिज करते हुए, कोर्ट ने कहा था कि यह प्राथमिकी सब इंस्पेक्टर के गलत इरादे और व्यापार एवं वाणिज्य के मुक्त प्रवाह में बाधा को दर्शाती है। इसके साथ ही कोर्ट ने एसपी को मामले में एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। 18 अगस्त को, पीठ ने एसपी के हलफनामे को भी यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि न तो याचिकाकर्ताओं की दलीलों का जवाब दिया गया और न ही अदालत के सवालों का जवाब।