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एलोपैथी बनाम आयुर्वेद में कटुता नहीं उपयोगिता पर हो काम : रावत

Writer D by Writer D
29/05/2021
in Main Slider, उत्तराखंड, ख़ास खबर, राजनीति, राष्ट्रीय
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harish rawat

harish rawat

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पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने एलोपैथी बनाम आयुर्वेद की बहस के रुकने के पक्ष में हैं। रावत का कहना है कि आयुर्वेद की पहचान भारत से है और एलोपैथी को किसी के पक्ष की आवश्यकता नहीं है। इसलिए अब गलत दिशा में विवाद को रोकर उपयोगिता पर काम करना चाहिए।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और बाबा रामदेव के बीच उत्पन्न विवाद को यहीं पर रोकने का आग्रह किया है। हरीश रावत ने कहा कि प्रबुद्ध जनमानस को एलोपैथिक बनाम आयुर्वेद की बहस को गलत दिशा में आगे नहीं बढ़ने देना चाहिए। आयुर्वेद की पहचान भारत से है। हमारे प्राचीनतम वेदों से निकली हुई चिकित्सा पद्धति है। कम्पनियां, कम्पनियां हैं चाहे वो आयुर्वेदिक दवाईयां बना रहीं हों या कोई और पद्धति की। उन्हें विवाद से प्रचार व प्रसार मिलता है।

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पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि एलोपैथी को किसी के पक्ष की आवश्यकता नहीं है। कोरोना संक्रमित लोग जो बचे हैं, उनमें से लगभग सबका उपचार एलोपैथिक पद्धति से हुआ है। कोरोना वायरस हाल में आया है, शायद इसीलिये आयुर्वेद सहित अन्य चिकित्सा प्रणालियों में वायरस से निपटान की दवाइयों का उल्लेख नहीं हुआ होगा।

उन्होंने कहा- ‘प्राचीन समय प्रकृति स्वच्छ व स्वस्थ थी, कोरोना जैसे वायरस हमारी गलतियों का परिणाम हैं। फिर भी अभी तक एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति भी कोरोना वायरस का सम्पूर्ण उपचार नहीं ढूंढ पाई है। वैज्ञानिक अनुसंधान कर रहे हैं और डॉक्टर्स उस अनुसंधान के आधार पर जो दवाइयां प्रचलन में हैं, उनका उपयोग करके संक्रमितों को बचाने का काम कर रहे हैं। डूबते को शब्दों का सहारा भी बड़ा होता है। संक्रमित व्यक्ति के विश्वास को, उसको दी जा रही दवा और उसकी चिकित्सा कर रहे डॉक्टर के प्रति कमजोर करना अपराधिक कृत्य है।’

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हरीश रावत ने कहा है,’मैं आयुर्वेदाचार्यों और प्रकाण्ड शोध कर्ताओं से आग्रह करना चाहूंगा कि वे कोरोना वायरस की तोड़ खोजें और उसकी सरकार से पुष्टि करवा लें। किसी भी भारतवासी को आयुर्वेदिक दवाइयों से कोरोना का मुकाबला करने में आत्मिक प्रसन्नता होगी। हम अपने राजनीतिक और व्यवसायिक लाभ के लिए किसी चिकित्सा पद्धति को किसी धर्म विशेष से नहीं जोड़ सकते हैं और न किसी देश से जोड़ सकते हैं। एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति के विकास में भारत व भारतीय लोगों का भी बड़ा योगदान है। ये योगदान देने वालों में केवल क्रिश्चियन ही नहीं हैं बल्कि अन्य धर्मों को मानने वाले लोग भी हैं।’

पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने संक्रमण के दिनों में एम्स में अपने चिकित्सकों के सुझाव को साझा करते हुए लिखा है ,’मैं जब एम्स में भर्ती था, मेरी चिकित्सा कर रहे डाॅक्टर्स ने मुझे कुछ योग के उपाय और गले को साफ करने के लिये अश्वगंधा, शीतलोपदाधिचूर्ण का उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने मुझसे कहा कि यदि आप डायबिटिज को नियंत्रण में रख सकें तो आपको यूनानी दवा जालीनूस का उपयोग करना चाहिए।’ समन्वय हमारी सनातन परम्परा है। आईये हम विभिन्न पद्धतियों के साधकों में कटुता बढ़ाने के बजाए लाभ के आधार पर सभी पद्धतियों की दवाइयों का डाॅक्टर्स की सलाह पर उपयोग करें।

Tags: Baba RamdevHarish RawatIndian Medical AssociationUttrakhand News
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