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कब रखा जाएगा आमलकी एकादशी का व्रत, जानिए महत्व

Amalaki Ekadashi

Amalaki Ekadashi

फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) के नाम से जाना जाता है। आमलकी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवले के पौधे की भी पूजा करने की परंपरा है। इसे आंवला एकादशी या आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में आमलकी एकादशी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस एकादशी पर आंवले के पौधे की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है।

आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) शुभ मुहूर्त

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का प्रारंभ 20 मार्च को रात्रि 12 बजकर 21 मिनट पर हो रहा है। इसका समापन 21 मार्च को 02:22 बजे होगा। उदया तिथि के अनुसार, 20 मार्च, बुधवार को आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) मनाई जाएगी।

अच्युतस्याष्टकम्

अच्युतं केशवं रामनारायणं

कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् ।

श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं

जानकीनायकं रामचंद्रं भजे ॥

अच्युतं केशवं सत्यभामाधवं

माधवं श्रीधरं राधिकाराधितम् ।

इन्दिरामन्दिरं चेतसा सुन्दरं

देवकीनन्दनं नन्दजं सन्दधे ॥

विष्णवे जिष्णवे शाङ्खिने चक्रिणे

रुक्मिणिरागिणे जानकीजानये ।

बल्लवीवल्लभायार्चितायात्मने

कंसविध्वंसिने वंशिने ते नमः ॥

कृष्ण गोविन्द हे राम नारायण

श्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे ।

अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षज

द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक ॥

राक्षसक्षोभितः सीतया शोभितो

दण्डकारण्यभूपुण्यताकारणः ।

लक्ष्मणेनान्वितो वानरौः सेवितोऽगस्तसम्पूजितो

राघव पातु माम् ॥

धेनुकारिष्टकानिष्टकृद्द्वेषिहा

केशिहा कंसहृद्वंशिकावादकः ।

पूतनाकोपकःसूरजाखेलनो

बालगोपालकः पातु मां सर्वदा ॥

विद्युदुद्योतवत्प्रस्फुरद्वाससं

प्रावृडम्भोदवत्प्रोल्लसद्विग्रहम् ।

वन्यया मालया शोभितोरःस्थलं

लोहिताङ्घ्रिद्वयं वारिजाक्षं भजे ॥

कुञ्चितैः कुन्तलैर्भ्राजमानाननं

रत्नमौलिं लसत्कुण्डलं गण्डयोः ।

हारकेयूरकं कङ्कणप्रोज्ज्वलं

किङ्किणीमञ्जुलं श्यामलं तं भजे ॥

अच्युतस्याष्टकं यः पठेदिष्टदं

प्रेमतः प्रत्यहं पूरुषः सस्पृहम् ।

वृत्ततः सुन्दरं कर्तृविश्वम्भरस्तस्य

वश्यो हरिर्जायते सत्वरम् ॥

आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) महत्व

आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) साल की सबसे महत्वपूर्ण एकादशियों में से एक मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि आमलकी एकादशी का व्रत करने से 100 गायों को दान करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि आमलकी एकादशी का व्रत करने से साधक जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है और विष्णु लोक को प्राप्त होता है।

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