नई दिल्ली| उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय से कहा कि वह अमेजन और फ्लिपकार्ट ई-कामर्स कंपनियों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा विरोधी आचरण के आरोपों की जांच पर लगाई गई रोक हटाने के लिए सीसीआई की याचिका पर निर्णय करे। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग से कहा कि वह राहत के लिये उच्च न्यायालय जाये।
सीसीआई की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि इन ई-कामर्स कंपनियों के खिलाफ प्रशासनिक किस्म की जांच के आदेश दिए गए थे और इससे किसी भी पक्ष के हित प्रभावित नहीं होंगे। उन्होंने पीठ से इस याचिका को लंबित रखने का अनुरोध किया और कहा कि इस मामले में व्यापक मुद्दे शामिल हैं। ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सीसीआई 200 से ज्यादा दिन के विलंब से शीर्ष अदालत आई है। इस पर पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय मामले पर सुनवाई करके छह सप्ताह के भीतर निर्णय करेगा और अगर इस अवधि में अदालत ने फैसला नहीं सुनाया तो यह याचिका पुनर्जीवित हो सकती है।
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उच्च न्यायालय ने 14 फरवरी को अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ सीसीआई की जांच पर रोक लगा दी थी। अमेजन ने सीसीआई की जांच के आदेश पर रोक के लिये उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।फ्लिपकार्ट ने भी सीसीआई की जांच का आदेश निरस्त करने के लिये उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। अमेजन ने सीसीआई का 13 जनवरी, 2020 का जांच का आदेश निरस्त करने का अनुरोध किया था। साथ ही उसने न्याय के हित में इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर राहत का अनुरोध किया था।
अमेजन ने उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में कहा था कि सीसीआई ने बगैर किसी विचार के ही यह आदेश पारित किया है और अगर जांच की अनुमति दी गई तो इससे कंपनी की साख और प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति होगी। सीसीआई ने दिल्ली व्यापार महासंघ सहित व्यापारियों के संगठनों की शिकायत पर जनवरी में फ्लिकाट और ऐमजन के खिलाफ कथित प्रतिस्पर्धा विरोधी आचरण अपनाने, बहुत ज्यादा छूट देकर कदाचार करने और अपने पसंदीदा दुकानदारों के साथ तालमेल के आरोपों की जांच का आदेश दिया था।