अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में बीते महीने किए गए ड्रोन अटैक को लेकर अमेरिका ने माफी मांगी है। 7 बच्चों समेत 10 आम नागरिकों की मौत के बाद भी अपना बचाव कर रहे अमेरिका ने हमले को अब ‘भयानक गलती’ बताया है। शुक्रवार को एक समीक्षा में हुए खुलासे में पता चला है कि हमले में केवल आम नागरिकों की मौत हुई थी, इस्लामिक स्टेट के आतंकी की नहीं। पहले कहा जा रहा था कि ड्रोन अटैक में अमेरिका ने आतंकी को ढेर कर दिया है।
यूएस सेंट्रल कमांड के प्रमुख मरीन जनरल फ्रैंक मैकेंजी ने कहा, ‘यह हमला दुखद गलती थी।’ उन्होंने अपनी गलती के लिए माफी मांगी और कहा कि अमेरिका पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने पर विचार कर रहा है। इस दौरान उन्होंन एक सफेद टोयोटा वाहन का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि माना जा रहा था कि गाड़ी के ट्रंक में विस्फोटक रखे हुए हैं। माना गया था कि यह गाड़ी काबुल एयरपोर्ट पर मौजूद अमेरिका बलों के लिए बड़ा खतरा हो सकती है।
अफगानिस्तान में अमेरिका कार्रवाई की निगरानी कर रहे हैं मैकेंजी ने मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। मैकेंजी ही अफगान से अमेरिकी बलों और 1 लाख 20 हजार से ज्यादा आम नागरिकों की निकासी का काम देख रहे थे। उन्होंने कहा, ‘अब मुझे विश्वास हो गया है कि उस दुखद हमले में 7 बच्चों समेत 10 आम नागरिक मारे गए थे।’ मैकेंजी ने कहा, ‘इसके अलावा, हम अब आकलन कर रहे हैं कि इस इस बात की संभावना कम है कि गाड़ी और मारे गए ISIS-K से जुड़े हुए थे या अमेरिकी बलों के लिए सीधा खतरा थे।’
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मैकेंजी ने कहा कि हमले से पहले अमेरिकी खुफिया व्यवस्था ने संकेत दिए थे कि अमेरिकी बलों पर हमले के लिए सफेज टोयोटा का इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 29 अगस्त की सुबह ऐसा एक वाहन काबुल एयरपोर्ट के पास देखा गया, जिसके बारे में खुफिया व्यवस्था ने बताया था कि इसका इस्तेमाल इस्लामिक स्टेट समूह योजना बनाने और हमला करने के लिए किया गया था। हमले का फैसला लेने से पहले वाहन को अमेरिकी ड्रोन ने शहर में एयरपोर्ट से अन्य लोकेशन तक ट्रैक किया।
उन्होंने कहा, ‘साफ है कि खासतौर से इस सफेद टोयोटा कोरोला को लेकर हमारी खुफिया जानकारी गलत थी।’ रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भी लिखित बयान में हमले कि लिए माफी मांगी है और इसे ‘भयानक गलती’ बताया है।
अमेरिका ने भी माना काबुल ड्रोन अटैक में मारे गए थे 10 निर्दोष, कहा- भयानक गलती हुई, माफ कर दीजिए
29 अगस्त को हुई एयरस्ट्राइक, 2001 में अफगानिस्तान में शुरू हुए अमेरिकी युद्ध का आखिरी हिस्सा थी। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा करने की रफ्तार ने अमेरिका को भी चौंका दिया था। यही कारण रहा कि अमेरिका को अपने नागरिकों, अफगान और अन्य लोगों को जल्दी से जल्दी निकालने के लिए काबुल एयरपोर्ट पर हजारों जवानों को भेजना पड़ा था।