नई दिल्ली। भारतीय रक्षा बलों के कर्मियों के जोखिम और कठिनाई भत्ते को अलग-अलग स्थानों के लिए 1.5 से 4 गुना बढ़ा दिया गया है। सेना कमांडरों के सम्मेलन के दौरान गुरुवार को घोषित की गई वृद्धि ने रक्षा और सीएपीएफ के बीच जोखिम और कठिनाई भत्ते में मौजूदा अंतर को भी खत्म कर दिया गया है। सेना के अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी।
इससे पहले सोमवार से शुरू हुए द्विवार्षिक सेना कमांडरों के सम्मेलन में गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath) पहुंचे। इस दौरान उन्होंने सम्मेलन को संबोधित किया। रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को सेना के शीर्ष कमांडरों से कहा कि वे भविष्य में भारत के सामने आने वाली हर संभव सुरक्षा चुनौती के लिए तैयार रहें। इस दौरान रक्षा मंत्री ने किसी भी संभावित स्थिति से निपटने के लिए सेना की संचालनात्मक तत्परता के लिए सराहना भी की।
राजनाथ सिंह ने इस सम्मेलन को लेकर ट्वीट भी किया। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि आज सेना कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान भारतीय सेना को उनकी परिचालन तैयारियों और क्षमताओं के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि सैन्य नेतृत्व से भविष्य में हर संभव चुनौती के लिए तैयार रहने का आह्वान किया है। इसमें अपरंपरागत और विषम युद्ध की चुनौती भी शामिल है।
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इस सम्मेलन में कमांडरों ने चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों की व्यापक समीक्षा की है। इसके साथ ही भारतीय क्षेत्र में रूस-यूक्रेन युद्ध के संभावित भू-राजनीतिक प्रभावों का आकलन भी किया गया है। थल सेना ने जानकारी दी कि रक्षा मंत्री सिंह ने देश के लिए निस्वार्थ सेवा और स्वदेशीकरण के जरिए आधुनिकीकरण की दिशा में सेना के अथक प्रयासों के लिए सराहना की है। इस पांच दिवसीय इस सम्मेलन का समापन शुक्रवार को होगा।
सैन्य कमांडरों का सम्मेलन एक शीर्ष स्तरीय कार्यक्रम है।ये हर साल साल अप्रैल और अक्टूबर माह में आयोजित किया जाता है। यह सम्मेलन से भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेने में मदद मिलती है। अधिकारियों ने बताया कि सम्मेलन के दौरान यूक्रेन संकट का क्षेत्रीय सुरक्षा पर संभावित प्रभावों के साथ ही संघर्ष के विभिन्न सैन्य पहलुओं पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। इस दौरान सैन्य कमांडरों ने पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले कुछ स्थानों पर चीन के साथ जारी सैन्य गतिरोध के मद्देनजर 3,400 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य तैयारियों की व्यापक समीक्षा भी की। पांच दिवसीय इस सम्मेलन में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियान के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश की समग्र स्थिति पर भी व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया गया है।
कमांडरों ने इस सम्मेलन में एलएसी के साथ बुनियादी ढांचे के विकास के संबंध में चर्चा भी की। अधिकारियों ने बताया कि सीमा से लगे प्रमुख क्षेत्रों में चीन द्वारा नए पुलों, सड़कों और बुनियादी संरचनाओं के निर्माण को देखते हुए भारत भी सीमावर्ती क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे के विकास पर जोर दे रहा है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा उत्पाद क्षेत्र में साझा शोध व विकास (आरएंडडी), निर्माण और रखरखाव के लिए अमेरिकी कंपनियों को आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा, अमेरिकी कंपनियां भारत सरकार की नई योजनाओं की पहल का फायदा उठाकर भारत का बड़ा साझेदार बने। भारत की मेक इन इंडिया, मेक फॉर दि वर्ल्ड योजना पूरी दुनिया को लाभांवित करेगी।