वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश में हुए साइबर हमले के लिए रूस के बजाए चीन पर शक जताया है। वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री एवं अन्य शीर्ष अधिकारियों ने इसके लिए रूस को जिम्मेदार ठहराया है। ट्रंप के इस दावे के खिलाफ अमेरिका की साइबर सुरक्षा एजेंसी ने सचेत किया है कि इससे सरकारी और निजी नेटवर्कों को गंभीर खतरा हो सकता है। ट्रंप ने शनिवार को ट्वीट किया कि साइबर हैक वास्तविकता के बजाए फर्जी समाचार मीडिया में अधिक बड़ा है।
नेपाल के पीएम केपी ओली ने की संसद भंग करने की सिफारिश, राष्ट्रपति से मिलने पहुंचे
मुझे पूरी जानकारी दी गई है और सब कुछ नियंत्रण में है। ट्रंप ने साइबर हमले के बारे में पहली बार शनिवार को सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करते हुए रूस को जिम्मेदार ठहराए जाने के विचार का उपहास उड़ाया और इस साइबर हमले को खास तवज्जो नहीं दी। उन्होंने आरोप लगाया कि मीडिया चीन का हाथ होने की संभावना पर चर्चा करने को लेकर डरा हुआ है। इससे पहले, अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने शुक्रवार को कहा था कि यह बिल्कुल स्पष्ट हो चुका है कि अमेरिका के खिलाफ सबसे खतरनाक साइबर हमले के पीछे रूस का ही हाथ था।
अमेरिका में एक दिन में आए रिकॉर्ड 4 लाख मामले; 2500 से ज्यादा की मौत
यह स्पष्ट नहीं है कि हैकर्स क्या चाह रहे थे, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि उनके मंसूबों में परमाणु हथियार से जुड़े रहस्य, उन्नत हथियारों की रूपरेखा, कोविड-19 टीके से संबंधित अनुसंधान और सरकार के प्रमुख नेताओं और बड़े उद्योगपतियों के बारे में जानकारी एकत्र करना शामिल हो सकता है।