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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पर ‘सुप्रीम’ फ़ैसला, अल्पसंख्यक दर्जा रहेगा बरकार

Aligarh Muslim University

Aligarh Muslim University

नई दिल्ली। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसख्यंक दर्जे पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट का कहना है कि एएमयू का अल्पसंख्यक का दर्जा बरकरार रहेगा। कोर्ट ने 4-3 के बहुमत से यह फैसला सुना दिया है।

इस मामले पर सीजेआई समेत चार जजों ने एकमत फैसला दिया है जबकि तीन जजों ने डिसेंट नोट दिया है। मामले पर सीजेआई और जस्टिस पारदीवाला एकमत हैं। वहीं, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा का फैसला अलग है।

सीजेआई ने कहा कि अल्पसंख्यक मानने के मानदंड क्या है? अल्पसंख्यक चरित्र का उल्लंघन ना करे। शैक्षणिक संस्थान को रेगुलेट किया जा सकता है। धार्मिक समुदाय संस्था स्थापित कर सकता है।

एक फरवरी को AMU के अल्पसंख्यक दर्जे के मसले पर देश की शीर्ष अदालत ने कहा था कि एएमयू एक्ट में 1981 का संशोधन, जिसने प्रभावी रूप से इसे अल्पसंख्यक दर्जा दिया, ने केवल आधे-अधूरे मन से काम किया। प्रतिष्ठित संस्थान को 1951 से पहले की स्थिति में बहाल नहीं किया। एएमयू एक्ट, 1920 अलीगढ़ में एक शिक्षण और आवासीय मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) की बात करता है। जबकि 1951 के संशोधन के जरिए विश्वविद्यालय में मुस्लिम छात्रों के लिए अनिवार्य धार्मिक शिक्षा को खत्म करने का प्रावधान किया गया।

इस प्रतिष्ठित संस्थान की स्थापना साल 1875 में सर सैयद अहमद खान की अगुवाई में मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज के रूप में की गई थी। कई साल के बाद 1920 में, इसे एक विश्वविद्यालय में तब्दील कर दिया गया।

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