लखनऊ। कानपुर के कई गन हाउस मालिकों द्वारा फर्जी शस्त्र लाईससों पर असलहा खरीदने-बेचने के मामले में फरार आरोपी राजकिशोर राय को यूपी एसटीएफ ने झारखण्ड से गिरफ्तार किया है।
राजकिशोर ने कानपुर के गन हाउस मालिकों से फर्जी शस्त्र लाईसेंस पर दर्जन भर से अधिक असलहे खरीदे और बेचे थे। ये असलहे नक्सलियों को भी सप्लाई किये गये थे। एटीएस की जांच में राजकिशोर का नाम प्रकाश में आया था, तबसे वह फरार था। उस पर यूपी पुलिस ने पचास हजार रुपये का इनाम घोषित किया था।
एटीएस के आईजी जीके गोस्वामी ने बताया कि एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन में शनिवार को राजकिशोर को देवघर, झारखण्ड से गिर तार किया गया है। उसे ट्रांजिट रिमाण्ड पर लखनऊ लाया जा रहा है। राजकिशोर राय वर्तमान समय में मुंगेर, बिहार में रह रहा था। मूलरूप से वह बिहार के खगडिय़ा जिले के रहने वाला है। यूपी में उसका ठिकाना हापुड़ के ग्राम-बिहुनी था। कानपुर से अवैध असलहे खरीदने और बेचने के मामले में उसके विरूद्ध लखनऊ के थाना-एटीएस में केस दर्ज कराया गया था। कानपुर नगर के कुछ गन हाउसों के द्वारा फर्जी शस्त्र लाइसेंसों पर शस्त्रों एवं कारतूसो की बिक्री की गयी था जिसमें राजकिशोर राय ने अन्य व्यक्तियों के नाम पते से बनवाए गए शस्त्र लाइसेंसों पर कुल 4 रायफल .315 बोर (इन्डियन ऑर्डिनेंस फैक्ट्री) मेड, 40 कारतूस, एक बन्दूक 12 बोर, 10 कारतूस पूर्वांचल गन हाउस एवं ए.के. नियोगी एंड कंपनी कानपुर से खरीदे थे।
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गौरतलब है कि 25 जुलाई 2017 को यूपी एटीएस ने कानपुर के चार गन हाउस मालिकों को गिर तार किया था। इन पर अवैध तरीके से असलहे बेचने का आरोप है। असलहा बिहार के दो युवकों को बेचा गया, जिनके माध्यम से इन्हें संदिग्ध आतंकवादियों और नक्सलियों तक पहुंचा दिया गया। जांच में 19 असलहे अवैध तरीके से बेचने का खुलासा हुआ था। आईएसआईएस खुरासान मॉड्यूल के संदिग्ध आतंकियों को डेढ़ हजार कारतूस बेचने के आरोप में काकादेव निवासी राघवेंद्र सिंह चौहान को एटीएस ने गिर तार कर जेल भेजा था। राघवेंद्र सिंह से मिली जानकारी के आधार पर आगे तहकीकात की गई तो चार गन हाउसों स्वामी खन्ना हाउस, स्वामी एके नियोगी एंड कंपनी, स्वामी पूर्वांचल गन हाउस व स्वामी जय जवान आर्म्स डीलर के रिकॉर्ड में 29 असलहों की गड़बड़ी मिली। इनमें 19 असलहों की बिक्री में अनिमितता पाई गई थी। ये सभी असलहे फर्जी लाइसेंस व कागजात पर बेचे गए।
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एटीएस के मुताबिक बिहार के मुंगेर निवासी राज किशोर राय अवैध असलहों का बड़ा सप्लायर है। वर्ष 2016 में बिहार एटीएस ने उसको गिर तार भी किया था। उस दौरान उसके पास 10 फर्जी शस्त्र लाइसेंस व असलहे मिले थे। जांच में पता चला कि राज किशोर व उसके साथी उमेंद्र सिंह ने कानपुर के चारों गन हाउसों से इन सभी असलहे खरीदे थे। एटीएस का कहना है कि राजकिशोर फर्जी दस्तावेज तैयार कर अपने गुर्गों को असलहे खरीदने के लिए दुकान पर भेजता था।
दो साल पहले ऐसे हुआ था खुलासा
एटीएस अधिकारी के मुताबिक बिहार से डीएम की फर्जी एनओसी कानपुर डीएम कार्यालय में लगाई गई थी। इसके आधार पर खरीदारों ने ट्रांजिट लाइसेंस बनवा लिया गया। उसके बाद आराम से शस्त्रों की खरीदारी की गयी। गन हाउस मालिकों की भी इसमें भूमिका रहती थी। वे फर्जी मोहरें भी रखते थे। सभी असलहों की खरीदारी दो साल के भीतर की गई है। एटीएस के मुताबिक 2014-16 के बीच 19 असलहे खरीदे गए थे। हजारों कारतूस भी बेचे गए। एटीएस के मुताबिक कानपुर के गन हाउस मालिकों ने कुल 29 हथियारों की खरीद-बिक्री में फजीर्वाड़ा किया गया। जांच के अनुसार, 19 शस्त्र नक्सलियों तक पहुंचाए गए हैं।
2017 में कानपुर से इनकी हुई थी गिरफ्तारी
1- विजय खन्ना, स्वामी खन्ना आरमरी
2- अमरजीत नियोगी, स्वामी एके नियोगी एंड कंपनी कानपुर
3- जैनुल आबदीन, स्वामी पूर्वांचल गन हाउस
4- राजीव शुक्ला, स्वामी जय जवान आर्म्स डीलर