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ब्रिटिश काल की फायर लाइन को पुनर्स्थापित करने की तैयारी, विदेशी मॉडल के अध्ययन का निर्णय

CM Dhami

CM Dhami

देहरादून। उत्तराखंड सरकार अब ब्रिटिश काल की फायर लाइन को पुनर्स्थापित करने की तैयारी में है। राज्य सरकार का मानना है कि फायर लाइन से जंगलों को वनाग्नि (Forest Fire) से काफी हद तक बचाया जा सकेगा। साथ ही जनसहभागिता के साथ ग्रामीणों को वन-जंगल के प्रति जुड़ाव महसूस कराया जाएगा। कुल मिलाकर अब वनाग्नि से निपटने के लिए सरकार की तैयारी पुख्ता होगी।

हर साल आग से जंगलों को बचाने में वन विभाग, प्रशासन और सरकार को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है। इसके बावजूद भी इस पर नियंत्रण पाना आसान नहीं होता है। इसलिए अब राज्य सरकार ने इस आपदा से निपटने के लिए विभिन्न मॉडलों का अध्ययन करने का निर्णय लिया है। ताकि समय रहते वनों में होने वाली विभीषिका को रोका जा सके।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Dhami) की पहल पर इस बार देश के साथ विदेशों के विकसित मॉडल का वन विभाग अध्ययन करेगा और जरूरत के अनुसार अपने प्लान में उसे समावेश करेगा। हालांकि शासन-प्रशासन ने अपनी पूरी ताकत वनाग्नि को नियंत्रण में झोंक दी है। मानव संसाधन भी वनाग्नि को रोकने में जुटा हुआ है। वनाग्नि नियंत्रण में सभी संबंधित विभागों यथा आपदा प्रबंधन, फायर सर्विसेज आदि कार्मिकों का सहयोग लिया जा रहा है। एनडीआरएफ, भारतीय वायुसेना की भी मदद ली जा रही है। इसके बावजूद भी वनाग्नि को रोकना मुश्किल साबित हुआ।

मुख्यमंत्री धामी (CM Dhami) की भी वनाग्नि पर सीधी नजर है। उन्होंने वनाग्नि की घटनाओं पर प्रभावी रोकथाम और कार्मिकों के मनोबल को बनाए रखने के लिए उच्चाधिकारियों को भी फील्ड में उतारा है। पीसीसीएफ (हॉफ) और एपीसीसीएफ वनाग्नि व आपदा प्रबंधन के अधिकारी लगातार फील्ड ऑपरेशन का स्थलीय निरीक्षण कर रहे हैं। वनाग्नि नियंत्रण के लिए निरंतर समीक्षा व मॉनिटरिंग बैठक की जा रही है। वनाग्नि के संबंध में गलत आंकड़ों का दुष्प्रचार करने वालों पर भी सरकार की नजर है। ऐसे लोगों के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।

वनाग्नि नियंत्रण में रिस्पांस टाइम कम करने की कोशिश-

रिस्पांस टाइम कम करने के लिए एफएसआई से प्राप्त फायर अलर्ट को तत्काल सम्बन्धित व्हाट्सएप ग्रुप्स में डालकर क्रू टीम को उसी समय घटनास्थल पर भेजा जा रहा है। एफएसआई से मिले फायर एलर्ट की विशेष मॉनिटरिंग कर वनाग्नि को कम से कम समय में नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है।

प्रोत्साहन, पुरस्कार व बजट आंवटन से वनाग्नि नियंत्रण के प्रयासों को मिली गति-

राज्य में सक्रिय वन पंचायतों, वनाग्नि प्रबंधन समितियों, महिला मंगल दलों, युवा मंगल दलों को जागरूक करके तथा उत्तरदायी बनाकर गांवों के नजदीक जंगली इलाकों में वनाग्नि नियंत्रण में सफलता मिली है। वनाग्नि नियंत्रण में उत्कृष्ट कार्य करने वाले सामुदायिक संस्थाओं व फील्ड अधिकारियों को प्रोत्साहन, पुरस्कार व तत्काल बजट आंवटन से वनाग्नि नियंत्रण के प्रयासों को एक नई गति मिली है।

वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार की प्रस्तावित बजट, अब तक 1510 लाख रुपये स्वीकृत-

वनाग्नि सुरक्षा मद में राज्य सेक्टर व केंद्र पोषित योजना के अंतर्गत वर्ष 2024-25 के लिए 5655.82 लाख रुपये का बजट प्रस्तावित है। राज्य सेक्टर की योजना के तहत प्रस्तावित 2165.82 लाख में से शासन से 1310 लाख रुपये का बजट आवंटित किया जा चुका है। वहीं केंद्र पुरोनिधानित योजना के तहत फारेस्ट फायर प्रिवेंशन एंड मैनेजमेंट स्कीम के लिए प्रस्तावित 2490 लाख के लिए एपीओ एमओईएफ एंड सीसी को स्वीकृति के लिए प्रेषित किया गया है। आरक्षित कैंपा योजना के तहत प्रस्तावित 1000 लाख रुपये में से वनाग्नि प्रबंधन गतिविधियों के लिए 200 लाख रुपये का बजट पास किया जा चुका है।

अब तक हुईं 1063 आग की घटनाएं, 417 वन अपराध दर्ज-

वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन उत्तराखंड के अपर मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार एक नवम्बर 2023 से 10 मई 2024 तक कुल 1063 आग की घटनाएं हुई हैं। आगजनी में 1437.948 हेक्टेयर वन प्रभावित हुए हैं। अब तक कुल चार लोग आग से झुलसकर पीड़ित हो चुके हैं और पांच लोगों की मृत्यु हो चुकी है। अब तक राज्य में कुल 417 वन अपराध दर्ज किए गए हैं। इनमें से 356 अज्ञात एवं 61 ज्ञात हैं। 75 नामजद अपराधी हैं। 13 के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई है और 10 व्यक्तियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है।

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वनाग्नि प्रबंधन के लिए 1438 फायर क्रू-स्टेशन हैं और 3983 योजित फायर वाचरोें की तैनाती है। वहीं कुमाऊं, गढ़वाल, वन्यजीव में 48 रिपीटर सेट, 450 बेस सेट, 1478 वॉकी-टॉकी हैंडसेट, 284 मोबाइल सेट, वायरलैस सेट 2260 व 1416 जीपीएस लगाए गए हैं। वन विभाग के कुल 2296 फील्ड कार्मिक वनाग्नि नियंत्रण में जुटे हैं।

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