दीप पर्व की शुरुआत 10 नवंबर को धनत्रयोदशी यानी धनतेरस (Dhanteras ) से होगी। इस दिन धन के अधिष्ठात्र देव भगवान कुबेर (Kuber) के पूजन का विधान है। उज्जैन में भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम में कुबेर देवता की अत्यंत प्राचीन मूर्ति विराजित है। मान्यता है कि धनत्रयोदशी (Dhanteras ) पर कुबेर देवता (Kuber) की नाभि में इत्र लगाने से वर्षभर सुख-समृद्धि बनी रहती है।
किवदंतियों के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण बड़े भाई बलदाऊ के साथ सांदीपनि आश्रम में शिक्षा ग्रहण करने आए थे। शिक्षा पूरी होने के बाद जब गुरु दक्षिणा देने की बारी आई तो भगवान की ओर से कुबेर (Kuber) देवता धन की पोटली लेकर गुरु दक्षिणा भेंट करने आए। आज भी सांदीपनि आश्रम में कुंडेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह में धन की पोटली लिए कुबेर (Kuber) देवता की मूर्ति विराजित है।
धनत्रयोदशी (Dhanteras ) पर भक्त यहां कुबेर देवता के दर्शन व पूजन के लिए आते हैं। मान्यता है कि कुबेर देवता की नाभि में इत्र लगाने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं तथा समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
पुजारियों के अनुसार, धनतेरस (Dhanteras ) पर कुबेर देवता (Kuber) का रत्न आभूषण से विशेष श्रृंगार किया जाएगा। गोधूलि वेला में महाआरती होगी। भक्तों को सुख समृद्धि के लिए कुबेर यंत्र का वितरण किया जाएगा।