लखनऊ। लकड़ी माफियाओं ने पर्यावरण और न्यायालय के आदेशों को दर किनार कर हरे पेड़ों पर लगातार आरा चलाया जा रही है। वहीं वन विभाग और स्थानीय पुलिस के अधिकारी आंखे मूंदे हुए है। माल थाने की अऊमऊ पंचायत के मजरे चौकी गांव निवासी रामकुमार की फल रही आम की बाग में बीते तीन दिनों में लगभग 80 पेड़ों का बिना परमिट सफाया लकड़ी माफियाओं द्वारा कर दिया गया।
वहीं सूत्रों की मानें तो निकरोजपुर पंचायत निवासी विराज सिंह की बाग है, जहां सड़क किनारे लगे कीमती सागौन के दस पेड़ों के परमिट के सहारे चालीस पेड़ों को काट दिया गया। जिनके ठूंठों को निशान मिटाने के लिये मिट्टी डालकर ढक दिया गया।
अवैध तरीके से काटे गये पेड़ों के बारे में न तो वन विभाग के पास कोई जानकारी है और न ही स्थानीय पुलिस इस बारे में कुछ बताने को तैयार है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस और वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते प्रतिबंधित पेड़ों को काटा गया है।
पूर्व सांसद तेजप्रताप की बहन की रिंग सेरेमनी में एक हुआ ‘यादव परिवार’
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इन दोनों जगह पर लगभग 100 के ऊपर अवैध तरीके से प्रतिबंधित हरे-भरे वृक्षों को काटा गया है। लोगों का कहना है कि अगर किसान एक भी पेड़ काट ले तो पुलिस व वन विभाग के जिम्मेदार उसके ऊपर इतनी कार्रवाई कर देते है कि वह जिन्दगी पर अपने को कोसता रहता है। ऐसे में इतने पेड़ों के कटान के बाद भी अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की।