लखनऊ। भले ही मोदी-योगी की लहर (wave of Modi-Yogi) के आगे अच्छे-अच्छे नेता ढेर हो गए हों। मगर इस लहर के बीच भी कुछ ऐसी महिला नेत्रियां उभरकर सामने आईं जिन्होंने भाजपा के प्रत्याशियों को न सिर्फ जोरदार टक्कर दी बल्कि अच्छे-खासे अंतर से जीत हासिल की।
इस बार उत्तर प्रदेश में ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ का नारा देते हुए कांग्रेस ने 144 महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था। इनमें से सिर्फ एक महिला उम्मीदवार ही चुनाव में जीत हासिल कर सकी। वहीं समाजवादी पार्टी की 46 महिला प्रत्याशियों में से 13 महिलाओं ने जीत हासिल की और मोदी-योगी लहर में मजबूती से टिकी रहीं। बसपा की 37 महिला प्रत्याशियों में एक भी जीत का स्वाद नहीं चख पाई।
आज हम आपको मिलवा रहे हैं उत्तर प्रदेश की विपक्षी पार्टियों की उन महिलाओं से जो मुश्किल हालात में भी जीत हासिल कर सकीं।
प्रतापगढ़ जिले की रामपुर सीट से कांग्रेस को जीत दिलाने वाली आराधना मिश्रा ने इस विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाई है। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी नागेश प्रताप सिंह को 14,741 वोटों से हराया। आराधना को इस चुनाव में कुल 83,652 वोट मिले हैं। आराधना साल 2000 से उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी की सदस्य हैं। वह कांग्रेस विधायक दल की नेता भी रही हैं।
आराधना साल 2000 से उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी की सदस्य हैं। वह कांग्रेस विधायक दल की नेता भी रही हैं।
आराधना के राजनीतिक करियर के बारे में बात करें तो उन्हें कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता है। आराधना को राजनीति का ज्ञान विरासत में मिला है , वह राज्य सभा सांसद प्रमोद तिवारी की बेटी हैं। प्रमोद तिवारी भी रामपुर खास सीट से लगातार 9 बार विधायक रह चुके हैं। 2013 में उनके राज्यसभा जाने के बाद से बेटी आराधना ही उनकी सीट संभाल रही हैं और इसे कांग्रेस का गढ़ बनाए हुए हैं। यहां पर अभी तक मोदी-योगी की लहर बेअसर रही है। इस बार भी आराधना ने रिकॉर्ड जीत हासिल की। उन्होंने 2012 में कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी की मीडिया रणनीति की जिम्मेदारी भी अपने कंधों पर ली थी।
भाजपा सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे केशव प्रसाद मौर्य को मात देकर पल्लवी पटेल ने चुनाव मैदान में अपना झंडा बुलंद किया है। समाजवादी पार्टी के गठबंधन से पल्लवी पटेल इन चुनाव में सिराथू सीट से उतरी थीं और 1,06,278 वोट हासिल किए। वहीं, उनके सामने खड़े हुए योगी सरकार के प्रदेश में सबसे बड़े चेहरों में से एक केशव प्रसाद मौर्य को 98,941 मत मिले थे। दोनों के बीच कड़ी टक्कर में डॉ. पल्लवी पटेल ने 6,841 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। पल्लवी पटेल की सगी बहन अनुप्रिया पटेल ने उनके विरोधी उम्मीदवार केशव प्रसाद मौर्य के लिए प्रचार किया था।
बसपा का दामन छोड़ समाजवादी पार्टी में शामिल हुई सैयदा खातून इस बार भाजपा की लहर के आगे भी टिकी रहीं और शानदार जीत हासिल की। डुमरियागंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते हुए सैयदा को जनता ने 85,098 मत दिए तो वहीं उनके विरोध में भाजपा से खड़े हुए राघवेंद्र प्रताप सिंह को कुल 84,327 वोट मिले। सैयदा ने कांटे के मुकाबले में केवल 771 मतों से अंतर से जीत हासिल की। 2012 में बसपा की सीट से चुनाव लड़ा था, तब कांटे के मुकाबले में उनको हार मिली थी। इस बार सैयदा ने पार्टी बदली और जीत नसीब हुई।
2012 में बसपा की सीट से चुनाव लड़ा था, तब कांटे के मुकाबले में उनको हार मिली थी। इस बार सैयदा ने पार्टी बदली और जीत नसीब हुई। सैयदा की 2017 विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के राघवेंद्र प्रताप सिंह से कड़ी टक्कर हुई थी। तब वह 171 सीटों से चुनाव हार गई थीं। तब वह बसपा के साथ थीं। इस बार उन्होंने योगी की लहर पर अपना झंडा बुलंद कर दिया। पेशे से किसान सैयदा 43 वर्ष की हैं। इस समय वह 1.9 करोड़ रुपये की संपत्ति की मालकिन हैं। संभल की असमोली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते हुए पिंकी सिंह यादव ने जीत दर्ज की है। इसी के साथ वह तीसरी बार असमोली विधानसभा सीट से विधायक बन गई हैं। 2022 विधानसभा चुनाव में उन्हें 1,11,652 वोट मिले, जबकि उनके विरोध में खड़े हुए भाजपा के हरेंद्र कुमार को कुल 86,446 वोट मिले। पिंकी इस बार 25 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीती हैं।
कासगंज जिले की तीन विधानसभा सीट में से दो पर कमल खिल गया, मगर जिस सीट पर नादिरा सुल्तान चुनाव लड़ रही थी वहां भाजपा को जीत नहीं मिली। समाजवादी पार्टी के टिकट पर पटियाली सीट से चुनाव लड़ने वाली नादिरा को कुल 91,958 मत मिले। वहीं, उनके खिलाफ खड़े हुए भाजपा के ममतेश शाक्य को 87,957 वोट मिले। दोनों के बीच कांटे के टक्कर में नादिरा सुल्तान ने भाजपा प्रत्याशी को 4 हजार वोट से हराया। नादिरा सुल्तान 2007 में कांग्रेस के टिकट पर भी पटियाली विधानसभा से चुनाव लड़ चुकी हैं। मगर तब वह तीसरे नंबर पर रही थीं। सपा नेता आजम खान की बहन की बहू हैं नादिरा सुल्तान। उन्होंने 4 हजार वोटों के अंतर से भाजपा कैंडिडेट को हराया है।
दरअसल, नादिरा सुल्तान सपा नेता आजम खान की रिश्तेदार हैं और कांग्रेस के पूर्व सांसद रहे मुशीर अहमद की बेटी हैं।